राम मंदिर और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर खुली सकती है बीजेपी की पोल
नई दिल्ली(राजा ज़ैद)। विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया मामले को बीजेपी भले ही हल्के में ले रही हो लेकिन मार्च में यह मामला बीजेपी के लिए बड़ा नासूर बन सकता है। प्रवीण तोगड़िया और बीजेपी के बीच झड़े की जड़ वह किताब है जिसे प्रवीण तोगड़िया जनवरी में लांच करना चाहते थे।
तोगड़िया की इस किताब का नाम “सैफरॉन रिफ्लेक्शन-फेसेस एंड मास्क्स” है। जिसमे बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने किस तरह राम मंदिर मुद्दे का राजनैतिक फायदा लेकर अपने लिए सत्ता का रास्ता बनाया। इतना ही नहीं इस किताब के बारे में कहा जा रहा है कि यदि यह किताब मार्किट में आयी तो बीजेपी के दूसरा चेहरा उजागर हो सकता है।
हालाँकि यह किताब अभी तक मार्किट में नहीं आयी है लेकिन इसके कुछ अंश वायरल हो गए हैं। सूत्रों की माने तो इस किताब में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने हिन्दुओं को राम मंदिर, धारा 370, कॉमन सिविल कोड, बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजना, गोवंश हत्या बंदी, विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं को फिर से बसाने के सवाल पर सिर्फ सपने दिखाए और उन्हें गुमराह किया है।
सूत्रों के अनुसार किताब में लिखा है कि जब चुनाव आते हैं तो बीजेपी फिर से इन्ही मुद्दों के इर्दगिर्द बातें करना शुरू कर देती है। हिन्दू समुदाय की भावनाओं से खेलकर वोट लेती है और सत्ता में आते ही यूटर्न ले लेती है।
सूत्रों के मुताबिक किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के मुद्दे पर भी कड़े प्रहार किये गए हैं। किताब में विकास के मुद्दे के बारे में लिखा है कि “हिन्दुओं के मुद्दों से टोटल यू टर्न का नाम ही विकास है।“
सूत्रों की माने तो विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया इस किताब को जनवरी में लांच करना चाहते थे लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेताओं की तरफ से उनके ऊपर किताब को ठन्डे बस्ते में रखने का लगातार दबाव है।
आज की तारीख में बीजेपी और तोगड़िया के रिश्ते तार तार हो चुके हैं और अब तोगड़िया खुलकर पीएम मोदी और बीजेपी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि किताब के मुद्दे पर तोगड़िया अपने कदम वापस नहीं खींचेंगे।
वहीँ सूत्रों की माने तो प्रवीण तोगड़िया मार्च से एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का मन बना चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक तोगड़िया यह आंदोलन राम मंदिर निर्माण और बीजेपी के कच्चा चिटठा जनता के सामने रखने के लिए करेंगे। सूत्रों ने कहा कि तोगड़िया देशभर में घूमकर यह बताना चाहते हैं कि बीजेपी ने किस तरह देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के साथ छल किया है और राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी का असली एजेंडा क्या है।
वहीँ दूसरी तरफ लोकपाल और काला धन के मुद्दे पर प्रमुख समाजसेवी अन्ना हज़ारे भी मार्च में दिल्ली के लाल किला मैदान में मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार को दो बड़े मुद्दों पर चक्रव्यूह में उलझना तय है। जहाँ एक तरफ राम मंदिर मुद्दे पर विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया बीजेपी को बेनकाब करेंगे वहीँ अन्ना हज़ारे लोकपाल की न्युक्ति न होने, किसानो की दुर्दशा और काला धन को लेकर बीजेपी और मोदी सरकार को घेरेंगे।
मोदी सरकार की मुश्किलों का दौर यहीं खत्म नहीं होता। हाल ही में योग गुरु बाबा रामदेव ने भी मोदी सरकार द्वारा लागू की गयी सिंगल ब्रांड रिटेल में सौ फीसदी विदेशी निवेश पर नाराज़गी ज़ाहिर की है। स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रचार करने वाले बाबा रामदेव इस सवाल का जबाव नहीं दे पा रहे हैं कि उन्होंने मोदी सरकार को लेकर जनता के बीच जो दावे किये थे उस पर मोदी सरकार खरी क्यों नहीं उत्तर रही।
वहीँ सूत्रों की माने तो धीमे धीमे मोदी सरकार के विरोधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर के बाद अब प्रवीण तोगड़िया और बाबा रामदेव भी बीजेपी से खफा हैं। फ़िलहाल तूफ़ान आने से पहले जैसी ख़ामोशी ज़रूर है लेकिन ये ख़ामोशी किसी भी दिन बड़े तूफान का रूप धारण कर सकती है।
जानकारों की माने तो इस महीने पांच लोकसभा सीटों पर हो रहे लोकसभा के उपचुनाव बीजेपी के भविष्य निर्धारण में बड़ी भूमिका अदा करेंगे। इन चुनावो को इस वर्ष होने जा रहे तीन अहम राज्यों के विधानसभा चुनावो का सेमी फाइनल माना जा रहा है। बता दें कि इस वर्ष मार्च अप्रेल तक कर्नाटक और वर्ष के अंत तक राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।