रामनाथ कोविंद: चुनाव तो जीते लेकिन प्रणब दा से हार गए
नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को भले ही विजय हासिल हुई हो लेकिन प्राप्त मतों की संख्या में वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हार गए। रामनाथ कोविंद को मिले वोटों का प्रतिशत साल 1974 के बाद सबसे कम है।
बीजेपी के लिए एक बड़े मलाल की बात यह भी है कि केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार और कई राज्यों में सरकार होने के बावजूद वह प्रणब दा का रिकॉर्ड तोड़ नहीं पाई।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कोविंद के पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी को वर्ष 2012 में हुए चुनाव में 69.31 फीसदी वोट मिले थे. वर्ष 2007 में प्रतिभा पाटिल को 65.82 प्रतिशत मिले थे, जो कोविंद की तुलना में थोड़ा अधिक था। केआर नारायणन (1997) और एपीजे अब्दुल कलाम (2002) को क्रमश: 94.97 और 89.57 प्रतिशत मत मिले थे।
राष्ट्रपति चुनाव में केवल वर्ष 1977 में ऐसा अवसर आया था जब नीलम संजीव रेड्डी शीर्ष संवैधानिक पद पर निर्विरोध चुने गए थे. ज्ञानी जैल सिंह (1982) को 72.73, आर वेंकटरमण (1987) को 72.28 और शंकर दयाल शर्मा (1992) को 65.87 प्रतिशत मत मिले थे.
नारायणन के अलावा केवल दो पूर्व राष्ट्रपतियों राजेंद्र प्रसाद और सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 90 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे। प्रसाद को वर्ष 1957 में 98.99 और सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962) को 98.24 फीसदी वोट मिले थे।
वहीँ विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने चुनाव हार कर भी एक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। मीरा कुमार ने पिछले 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। उनको इस चुनाव में 3.67 लाख वोट मिले हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी हारने वाले प्रत्याशी को इतने वोट मिले हैं।