राफेल सौदे पर पीएम मोदी से सवाल क्यों नहीं पूछता मीडिया: राहुल गांधी

राफेल सौदे पर पीएम मोदी से सवाल क्यों नहीं पूछता मीडिया: राहुल गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि मीडिया पीएम मोदी से इस विषय पर सवाल क्यों नहीं पूछता।

राहुल गांधी ने कहा कि एक व्यवसायी को लाभ पहुंचाने के लिए पूरे सौदे में कथित तौर पर बदलाव हुआ इसे लेकर देश के मीडिया को पीएम मोदी से सवाल पूछना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय शाह को लेकर सवाल क्यों नहीं किया जाता. कांग्रेस आरोप लगा चुकी है कि केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से जय शाह की कंपनी के कारोबार में कई गुना इजाफा हुआ है।

राहुल ने अखिल भारतीय असंगठित कामगार कांग्रेस की नई टीम से मुलाकात के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा, आप मुझसे जो भी सवाल पूछते हैं, मैं खुशी से उनका जवाब देता हूं।

उन्होंने कहा कि आप प्रधानमंत्री मोदी से राफेल सौदे को लेकर, अमित शाह के पुत्र को लेकर सवाल क्यों नहीं पूछते। आप प्रधानमंत्री से सवाल क्यों नहीं पूछते जिन्होंने एक व्यवसायी की मदद के लिए पूरे राफेल सौदे को ही बदल दिया।

राहुल ने अखिल भारतीय असंगठित कामगार कांग्रेस के गठन और उसके प्रतिनिधियों से बातचीत कर संतोष जताया। इस सप्ताह की शुरुआत में कांग्रेस ने सरकार पर राफेल सौदे में पूरी तरह से बदलाव कर राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने, सांठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।

भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसका मकसद ध्यान बंटाना है क्योंकि पार्टी के बड़े नेताओं को अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले को लेकर पूछताछ किए जाने की आशंका है।

वहीँ इस मामले को उठाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यूपीए सरकार वायुसेना के लिए जिस लड़ाकू विमान को 10.20 अरब अमेरिकी डॉलर में तकनीकी हस्तांतरण के साथ अंतिम रूप दे रही थी, आखिर क्या वजह है कि मोदी सरकार इसे बिना तकनीकी हस्तांतरण के ढाई गुना अधिक कीमत देकर ले रही है?

सुरजेवाला इस लड़ाकू विमान के सौदे में अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस डिफेंस लिमिटेड की इंट्री पर भी सवालिया निशान लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता ने जानना चाहा है कि आखिर क्यों सरकार ने हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को दरकिनार करके रिलायंस डिफेंस लि. को इस सौदे में वरीयता दी है।

सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री ने फ्रासं की यात्रा की थी। इसमें उनके साथ अनिल अंबानी भी थे। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री फ्रांस की डेसाल्ट एवियेशन के साथ चल रहे लड़ाकू विमानों के सौदी की बातचीत को विराम लगाते हुए नई पहल पेश की।

उन्होंने वहां तैयार हालत में बिना तकनीकी हस्तांतरण के 36 लड़ाकू विमानों के नये सौदे को एकतरफा आगे बढ़ा दिया। ताज्जुब की बात यह भी इस दौरे में उनके साथ रक्षा मंत्री भी नहीं थे और रक्षा खरीद प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया।

कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि 12.12.2012 को तत्कालीन यूपीए सरकार ने 126 मध्यम बहुउद्देश्यीय राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 10.2 अरब डॉलर (54 हजार करोड़ रुपये) में सहमति जताई थी। इनमें से 18 लड़ाकू विमान तैयार हालत में और शेष 108 तकनीकी हस्तांतरण के आधार पर फ्रांस की कंपनी डेसाल्ट एवियेशन और हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के संयुक्त प्रयास देश में ही तैयार होने थे।

सुरजेवाला का बड़ा सवाल है। आखिर इस सौदे के लिए रिलायंस डिफेंस एंड एरोस्पेस को क्यों लाभ पहुंचाया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि रिलायंस डिफेंस ने अभी तक रक्षा क्षेत्र में एक नट बोल्ट का निर्माण भी नहीं किया है।

फिर रिलायंस को सरकार ने डेसाल्ट के साथ संयुक्त उद्यम के लिए क्यों चुना? वह भी हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को दर किनार करके।

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