राफेल मामले में चिट्ठी आयी सामने, पीएम या पीएमओ निभा रहे थे विचौलिये की भूमिका- कांग्रेस
नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर आये नए मोड़ के बाद कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी पर अपने हमले और तेज कर दिए हैं। इस मामले में एक चिट्ठी सामने आने के बाद सरकार को सफाई देनी पड़ रही है। वहीँ कांग्रेस का आरोप है कि राफेल डील में पीएम मोदी या उनका कार्यालय (पीएमओ) विचौलिये की भूमिका अदा कर रहे थे।
शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि ‘तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को मामले की जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने खुद को मामले से अलग कर लिया जिससे कल को कुछ हो तो उनके ऊपर कुछ न आए। हालांकि अदालत में यह बात कितनी मानी जाएगी, पता नहीं।’
उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि किसी पीएम मोदी ने खुद किसी डिफेंस नेगोशिएशन में दखल दिया। हमारी चुनौती है, कोई एक भी ऐसा दूसरा मामला दिखा दे जिसमें पीएम नेगोशिएशन में शामिल हुए हों। हमारे मन मे प्रधानमंत्री पद के लिए बहुत सम्मान है लेकिन सुबह से जैसे कागज़ात सामने आए हैं उनसे ऐसा लगता है मानो इस मामले में पीएम या पीएमओ बिचौलिए की तरह काम कर रहे हों।
तिवारी ने कह कि कल चौकीदार ने हवा में खूब लाठियां चलाईं लेकिन आज सुबह चौकीदार की असलियत सामने आ गई. सरकार की तरफ से तथ्यों को छुपाने की हरसंभव कोशिश की गई, पर ये जो कम्बख्त सच है, ये उजागर हो जाता है। और जब सच सामने आया तो सरकार ने घबराहट में अपने बचाव में कुछ पेपर सामने रखे लेकिन ये पेपर पहले से भी ज्यादा फंसा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम को. नोट में साफ है कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने कोई ऐसा इनपुट नहीं दिया था कि बैंक गारंटी की जरूरत नहीं होगी लेकिन इसके बावजूद पीएमओ ने बैंक गारंटी के बिना समझौते की बात का भरोसा फ्रेंच अधिकारियों को कैसे और किस आधार पर दिया?
मनीष तिवारी ने कहा कि रक्षा मंत्री ने नोट में लिखा है ‘it appears’ मतलब उनको नहीं पता था कि क्या चल रहा है। वे अंदाजा लगा रहे हैं। रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर मामले से किनारा कर लिया। जब रक्षामंत्री ने ये कहा कि आधा नोट ही प्रकाशित किया गया है, तो उनको शुक्रिया अदा करना चाहिए था न्यूज पेपर का. पूरा नोट सामने आने से तो सरकार की और किरकिरी हुई है।
उन्होंने कहा कि कंफर्ट लेटर कब से प्रधानमंत्री को लिखे जाने लगे? फ्रांस की सरकार ने अगर ऐसा किया तो ये साफ दिखाता है कि उनकी नजर में नेगोशिएटर प्रधानमंत्री थे, रक्षा मंत्रालय या नेगोशिएशन कमेटी नहीं। तिवारी ने कहा कि 70 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि पीएम या उनके कार्यालय ने सीधे किसी डील में नेगोशिएट किया हो। ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री किसी बिचौलिए कई तरह व्यवहार कर रहे थे।