राफेल पर कैग रिपोर्ट में छिपाई गयीं हैं ये बातें, विपक्ष उठाता रहा है इन पर सवाल
नई दिल्ली(राजाज़ैद)। राफेल डील को लेकर आयी महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में बार बार इस बात पर जोर देने की कोशिश की गयी है कि मोदी सरकार की राफेल डील मनमोहन सरकार से 2.86 फीसदी सस्ती है, जबकि कीमतों पर पर्दा डाल दिया गया है।
कैग रिपोर्ट में कहीं उल्लेख नहीं किया गया है कि अंततः मोदी सरकार की राफेल डील में प्रति विमान की कीमत क्या तय की गयी है। विपक्ष लगातार राफेल डील की कीमतों को लेकर सवाल उठाता रहा है। इस सब के बावजूद कैग रिपोर्ट में कीमतों की जानकारी नहीं दी गयी है।
राफेल डील को लेकर पेश की गयी 16 पन्नो की सीएजी रिपोर्ट में मोदी सरकार की राफेल डील को अज्ञात (unknown) मिलियन यूरो के आधार पर सस्ता करार दिया गया है जबकि रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि ये अज्ञात मिलियन यूरो कुल कितनी धनराशि होते हैं।
कैग रिपोर्ट में एक और अहम बात पर पर्दा डालने की कोशिश की गयी है। विपक्ष लगातार मोदी सरकार से सवाल करता रहा है कि आखिर किस आधार पर एचएएल की जगह राफेल डील से चंद दिनों पहले बनी अनिल अंबानी की कम्पनी रिलायंस डिफेन्स को कॉन्ट्रेक्ट दिया गया ? इसका क्या मापदंड था ?
राफेल को लेकर पेश की गयी कैग रिपोर्ट में इस अहम मसले को नज़रअंदाज कर दिया गया है। रिपोर्ट में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि राफेल डील में एचएएल की जगह रिलायंस डिफेन्स को लाने के पीछे क्या वजह रही है। इसके पीछे सरकार की क्या मंशा है और एचएएल की जगह रिलायंस डिफेन्स को कॉन्ट्रेक्ट दिए जाने से क्या राफेल की कीमतों पर कोई असर पड़ेगा ?
रिपोर्ट में कहा गया है कि 126 विमानों की पुरानी डील से तुलना में 36 राफेल विमानों का नया सौदा कर भारत 17.08% पैसा बचाने में कामयाब रहा है। वहीं, पुरानी डील के मुकाबले नई डील में 18 विमानों की डिलीवरी का समय बेहतर है। शुरुआती 18 विमान भारत को पांच महीने जल्दी मिल जाएंगे।
विपक्ष ने राफेल डील पर आयी कैग रिपोर्ट से असहमति जताते हुए इसे ख़ारिज कर दिया है। विपक्ष ने संसद परिसर में प्रदर्शन करते हुए चौकीदार ही चोर है के नारे भी लगाए।
इन दस पॉइंट से समझिये क्या है कैग रिपोर्ट में:
1 राफेल डील 2.86 फीसदी सस्ती है। CAG रिपोर्ट में राफेल विमान के दाम को नहीं बताया गया है।
2 बिल्कुर तैयार अवस्था में राफेल की कीमत UPA सरकार के जितनी ही है।
3 CAG की रिपोर्ट से मोदी सरकार का वो दावा भी खारिज होता है, जिसमें कहा गया था कि मोदी सरकार ने राफेल विमान 9 फीसदी सस्ता खरीदे हैं।
4 रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस डील (36 विमान) में पिछली डील (126 विमान) का करीब 17.08 फीसदी पैसा बचा है।
5 पिछली डील के मुताबिक, राफेल विमान की डिलीवरी 72 महीने में होनी थी लेकिन इस डील में 71 महीने में ही डिलीवरी हो रही है।
6 रक्षा मंत्रालय की ओर से जनवरी 2019 में बताया गया था कि नई डील में बेसिक प्राइस 9 फीसदी सस्ता है. ये 2007 में 126 विमान के लिए पेश ऑफर की तुलना में सस्ता था।
7 शुरुआती 18 राफेल विमान पिछली डील के मुकाबले 5 महीने पहले ही भारत में आ जाएंगे।
8 CCS के सामने सितंबर 2016 में सोवरन गारंटी और लेटर ऑफ कम्फर्ट पेश की गई थी. जिसमें तय हुआ था कि लेटर ऑफ कम्फर्ट को फ्रांस के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा जाएगा।
9 रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय को काफी चरणों में इस डील को फाइनल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
10 कैग रिपोर्ट में राफेल विमानों के दाम नहीं बताये गए हैं। साथ ही इस बात को लेकर भी खुलासा सही किया गया कि आखिर किन कारणों से कॉन्ट्रेक्ट एचएएल की जगह रिलायंस डिफेन्स को दिया गया।