राफेल डील पर मोदी सरकार को सुप्रीमकोर्ट की क्लीनचिट
नई दिल्ली। राफेल विमान डील में अनियमितताओं को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को क्लीनचिट दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने डील को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि प्राइस और ऑफसेट पार्टनर की समीक्षा करना कोर्ट का काम नहीं। सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया बिल्कुल सही थी। कोर्ट ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद याचिकाएं दायर की गई जो विचारणीय नहीं हैं। कोर्ट ने कहा, राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई अवसर नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील को लेकर दायर याचिकाओं कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राफेल डील में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले एडवोकेट मनोहरलाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद एडवोकेट विनीत ढांडा ने ऐसी मांग करते हुए अर्जी डाली थी। इसके बाद दो पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भी एक अलग याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि राफेल विमान की कीमतों के बारे में तभी चर्चा हो सकेगी जब वह फैसला कर लेगा कि क्या इन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की थी जब सरकार ने विमान सौदे की कीमतों के विवरण का सार्वजनिक रूप से खुलासा करने से इनकार करते हुये कहा था कि इससे देश के दुश्मनों को लाभ मिल सकता है।
राफेल डील में कथित अनियमितता के मुद्दे और इसकी कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने दॉसो कंपनी द्वारा आफसेट साझेदार का चयन और फ्रांस के साथ अंतर-सरकार समझौते सहित अनेक मुद्दों पर सरकार से सवाल किये थे।