मुश्किल में सरकार: राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार

मुश्किल में सरकार:  राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार

नई दिल्ली। राफेल विमान डील पर मोदी सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती दिखाई दे रही हैं। राफेल डील पर सुप्रीमकोर्ट के पूर्ववर्ती फैसले और कैग रिपोर्ट को क्लीनचिट मानकर चल रही मोदी सरकार और बीजेपी एक बार फिर घेरे में आ सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे पर अपने फैसले की समीक्षा की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति जता दी है। संबंधित याचिकाओं के समूह को सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को खारिज कर दिया था।

इस समूह में पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण की याचिकाएं थीं। तब न्यायालय ने कहा था कि फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद में केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह का सवाल ही नहीं उठता।

इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि फिलहाल तारीख तय करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी वो इस पर विचार करेंगे। साथ ही सीजेआई ने कहा कि राफेल से संबंधित सभी याचिकाओं की सुनवाई के लिए जजों की बेंच का गठन करना आवश्यक है। बता दें कि राफेल पर 14 दिसंबर के फैसले पर चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राफेल मुद्दे पर चार आवेदन या याचिकाएं दाखिल की गई हैं और इनमें से एक तो अब तक खामी की वजह से रजिस्ट्री में पड़ी है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी हैं।

जब प्रशांत भूषण ने राफेल मामले में याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की तब पीठ ने कहा, ‘पीठ (के न्यायाधीशों) में बदलाव करना होगा, यह बहुत मुश्किल है। हमें इसके लिए कुछ करना होगा।

प्रशांत भूषण ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं के अलावा एक ऐसा आवेदन भी दाखिल किया गया है जिसमें अदालत को गुमराह करने वाली जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है।

वकील भूषण के अलावा सिन्हा और शौरी ने उच्चतम न्यायालय से सोमवार को हाई प्रोफाइल राफेल मामले में सीलबंद लिफाफे में ‘झूठी या भ्रामक’ जानकारी कथित तौर पर देने के लिए केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ झूठे साक्ष्य का मुकदमा शुरू करने का आग्रह किया।

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TeamDigital