राज्यपाल द्वारा विधानसभा की कार्रवाही में दखल के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंचे सीएम कुमारस्वामी

राज्यपाल द्वारा विधानसभा की कार्रवाही में दखल के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंचे सीएम कुमारस्वामी

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग कराये जाने के लिए राज्यपाल वजूभाई द्वारा दो बार दी गयी डेडलाइन के खिलाफ मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

कुमारस्वामी का कहना है कि जब विश्वास मत पर कार्यवाही चल रही है तो राज्यपाल वजूभाई वाला विश्वास मत पर कोई निर्देश नहीं दे सकते। इतना ही नहीं कुमारस्वामी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के उस आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की गई है जिसमें कहा गया था कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस किस तरह से हो इसे लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते। राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के पूरी तरह विपरीत है।

कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें पत्र भेजकर पहले डेढ़ बजे तक और दूसरे पत्र में शाम 6 बजे तक विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा। कुमारस्वामी ने कहा कि शुक्रवार को ही उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर सूचित किया था कि सदन पहले ही विश्वास प्रस्ताव पर विचार कर रहा था और फिलहाल बहस चल रही है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने एक और पत्र भेजा है कि विश्वास मत शुक्रवार शाम 6 बजे से पहले होना चाहिए।

मुख्यमंत्री कुमार स्वामी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि “राज्यपाल की शक्तियां गवर्नर शक्तियों के संबंध में इस न्यायालय द्वारा तय किए गए सुव्यवस्थित कानून के पूर्णत: विपरीत हैं। राज्यपाल के निर्देश इस न्यायालय के निर्णय के उल्लंघन में पूर्व-निर्धारित हैं।”

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री एच डी कुमार स्वामी से पहले कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने अदालत में याचिका दायर की है कि उनके पिछले आदेश से उनकी पार्टी के अधिकार का हनन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विधायकों को व्हिप से छूट दी थी।

याचिका में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का राजनीतिक दल का अधिकार कमजोर हुआ है। कांग्रेस ने कहा था कि इस मामले में पार्टी है ही नहीं, फिर उसके अधिकार को सुप्रीम कोर्ट कैसे रोक सकता है।

वहीँ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कर्नाटक सरकार और बागी विधायकों के मामले में पार्टी कहीं भी पक्षकार नहीं है। ऐसे में हमें सुना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आखिर बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण कैसे संभव है? गैर हाजिर रहने वाले विधायक तो कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं।

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TeamDigital