मोदी सरकार की नोटबंदी से गयीं 15 लाख लोगों की नौकरी
नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर जहाँ सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है वहीँ एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि नोट बंदी के चलते करीब 15 लाख लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। इतना ही नहीं नोट बंदी के कारण करीब 60 लाख लोगों को रोज़ी रोटी कमाने में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) ने सर्वे में त्रैमासिक वार नौकरियों का आंकड़ा पेश किया है। सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच देश में कुल नौकरियों की संख्या घटकर 405 मिलियन रह गई थी जो कि सितंबर से दिसंबर 2016 के बीच 406.5 मिलियन थी। यानि कि नोटबंदी के बाद नौकरियों की संख्या में करीब 1.5 मिलियन अर्थात 15 लाख की कमी आई।
देशभर में हुए हाउसहोल्ड सर्वे में जनवरी से अप्रैल 2016 के बीच युवाओं के रोजगार और बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जुटाए गए थे। इस सर्वे में कुल 1 लाख 61 हजार, एक सौ सड़सठ घरों के कुल 5 लाख 19 हजार, 285 युवकों का सर्वे किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ नवंबर 2016 को लागू हुई नोटबंदी का व्यापक प्रभाव इन महीनों में पड़ा है।
सर्वे में कहा गया है कि तब 401 मिलियन यानी 40.1 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। यह आंकड़ा मई-अगस्त 2016 के बीच बढ़कर 403 मिलियन यानी 40.3 करोड़ और सितंबर-दिसंबर 2016 के बीच 406.5 मिलियन यानी 40.65 करोड़ हो गया। इसके बाद जनवरी 2017 से अप्रैल 2017 के बीच रोजगार के आंकड़े घटकर 405 मिलियन यानी 40.5 करोड़ रह गए। यानि नोट बंदी के दौरान कुल 15 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गईं।