मोदी राज में रामदेव की बल्ले बल्ले, 2 हज़ार एकड़ ज़मीन के साथ 300 करोड़ की छूट !

नई दिल्ली। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक फायदा योग गुरु रामदेव और उनके प्रतिष्ठान पतंजलि को पहुंचा है। इसमें सरकार की बड़ी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।

भाजपा शासित राज्यों में जमीन से जुड़े सरकारी दस्तावेज के अनुसार नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से पंतजलि ने फैक्ट्रियां, शोध सुविधाओं और जड़ी-बूटी की सप्लाई चेन लगाने के लिए करीब 2000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया।

चार अधिग्रहण के मामलों में से दो में 100 एकड़ से अधिक अधिग्रहण किया गया था (भाजपा शासित राज्यों में)। भाजपा शासित राज्यों में पतंजलि को जमीन खरीदने में तकरीबन 77 फीसद का फायदा मिला। कंपनी ने तब नई फैक्ट्रियां स्थापित करने और नई नौकरियों का सृजन करने का वादा किया था।

न्यूज़ एजेंसी रायटर में प्रकाशित ‘एस मोदी एंड हिस राइट विंग बेस राइज़, सो टू डज़ ए सेलेब्रिटी योगा टायकून’ इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद बाबा रामदेव की कंपनी को भाजपा शासित राज्यों में भूमि अधिग्रहण में तकरीबन 46 मिलियन डॉलर (करीब 300 करोड़ रुपए) की छूट मिली थी।

नागपुर में बीते साल सितंबर में पतंजलि फूड प्रोसेसिंग प्लांट के लिए पतंजलि ने 234 एकड़ जमीन के लिए 59 करोड़ रुपए चुकाए थे। ह जमीन राज्य के स्पेशल इकनॉमिक जोन से सटी थी, जिसकी बाजार में कीमत 260 करोड़ रुपए से अधिक थी। जमीन सस्ते में पतंजलि को देने के पीछे तर्क दिया गया कि सस्ती इसलिए दी गई, क्योंकि वह विकसित नहीं थी। वहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं थी।

इसके अलावा एक और बड़ा ट्रांजैक्शन 2014 में अक्टूबर और दिसंबर में असम के पूर्वी हिस्से में हुआ था। इसमें 1200 एकड़ जमीन ट्रांसफर की गई थी। दस्तावेज बताते हैं कि यह जमीन पतंजलि योगपीठ को गाय का संरक्षण करने की शर्त पर मुफ्त में दे दी गई थी।

इतना ही नहीं सत्ता में आने आधे साल बाद ही मोदी सरकार ने अपने मंत्रायलय के तहत पारंपरिक भारतीय औषधि का विभाग बनाया, जो योग और आयुर्वेदिक उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर देने लगा। यही कारण है कि पतंजलि आज मार्केट लीडर बना बैठा है। मंत्रायल इस समय पंतजलि के कई उत्पादों को नियंत्रित करता है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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