मेवात में सामूहिक दुष्कर्म : न मुआवज़े की आवाज़ उठी, न केंडिल मार्च निकाले गए !

ब्यूरो । निर्भया काण्ड पर राजनीति करने वाले , इण्डिया गेट पर धरना प्रदर्शन करने और केंडिल हाथ में लेकर घूमने वाले बताएं कि मेवात में दो लड़कियों के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद उनके मूँह से आवाज़ क्यों नही निकल रही ।

मेवात में दो लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद फैली ख़ामोशी से एक बात साफ़ है कि इस समाज में दो तरह के लोग रहते हैं एक वे जो मुद्दे का राजनीतिकरण करके फायदा लेते हैं और दूसरे वे जो राजनीतिकरण करके फायदा लेने वालो का साथ देते हैं ।

कानून से बंधे होने की वजह से पीड़ित लड़कियों का नाम, जाति और धर्म नही लिख सकता लेकिन मेवात में जो कुछ हुआ उसे छिपाने के लिए हरियाणा सरकार ने कोई कसर नही छोड़ी । सरकार को डर रहा होगा कि कहीं यह मामला सड़क तक न पहुँच जाए इसलिए हर चीज़ को बड़े गुप्त तरीके से निपटाया गया ।

भले ही सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आगये हों लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि अब कोई राजनैतिक दल रेप आरोपियों के लिए फांसी की सजा क्यों नही मांग रहा है। मेवात का मामला आपसी रंजिश का नहीं है बल्कि इरादतन अपराध का है ।

इस मामले में सरकार जो दलील पेश कर रही है उसे स्वीकार नही किया जा सकता । कोई आलिशान बिल्डिंग में रहे या खेत में, सरकार का कर्तव्य है कि वह राज्य में रह रहे हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करे ।

फिलहाल इस बात की आवश्यकता है कि राज्य सरकार पीड़ित परिवार के साथ सहानुभूतिपूर्वक पेश आये और उसके लिए उचित मुआवज़े के साथ साथ सुरक्षा सुनिश्चित करे ।

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TeamDigital