मेडल जीतने पर खिलाडियों को करोडो रुपये, शहीद सैनिक के परिजनों को अंतिम यात्रा को लेना पड़ा कर्ज
कोलकाता। उरी में शहीद गंगाधर दोलुई की अंतिम यात्रा के लिए उनके पिता को पड़ोसियों से दस हजार रुपए कर्ज लेना पड़ा। बेटे की शहादत को सीने में जज्ब किये 64 वर्षीय ओंकारनाथ दोलुई का दर्द और बढ़ गया जब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता और परिवार के किसी सदस्य को होमगार्ड में नौकरी की घोषणा की। उन्होंने इतनी कम आर्थिक सहायता को शहीद का अपमान बताते हुए लेने से इन्कार किया है।
शहीद गंगाधर दोलुई कोलकाता से लगभग 30 किलोमीटर दूर हावड़ा के जेबीपुर थाना अंतर्गत जमुना बलिया गांव के रहने वाले थे। उनके पिता ओंकारनाथ ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने बेटे की अंतिम यात्रा के लिए पड़ोसियों से उधार लिया है।
दैनिक मजदूरी कर गुजारा करने वाले पिता ने बताया कि दो साल पहले ही सेना में उनके बेटे की नौकरी लगी थी। अब बुढ़ापे में जो बेटा उनका सहारा बनता, वहीं इस दुनिया में नहीं रहा। वह खुद दैनिक मजदूरी कर 170 रुपए कमाते हैं। इसी से उनका परिवार चलता है।
ओंकारनाथ को हर्निया की भी समस्या है और बायीं आंख खराब है। पिता बताते हैं कि मां शिखा दोलुई से गंगाधर की 15 सितंबर को आखिरी बार बात हुई थी। गंगाधर का अभी भी फूस का घर है। घरवालों से दुर्गापूजा के बाद पक्का मकान बनाने की बात कहीं थी, जो सपना बनकर ही रह गया।
ओंकरनाथ ने कहा-“हमें बंगाल सरकार ने दो लाख रुपए देने की घोषणा की है, इतनी राशि तो राज्य में जहरीली शराब पीकर मरनेवालों के परिजनों को भी पेशकश की गई थी। यह सरासर शहीद का अपमान है। हम दो लाख की आर्थिक मदद व छोटे बेटे के लिए होमगार्ड की नौकरी कतई स्वीकार नहीं करेंगे।”
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश व राजस्थान सरकार ने अपने राज्य के शहीद हुए जवानों के परिजनों को 20-20 लाख और झारखंड सरकार ने झारखंड सरकार ने 10-10 लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की है। बिहार के भोजपुर में शहीद अशोक कुमार की पत्नी द्वारा पांच लाख की आर्थिक सहायता ठुकराए जाने के बाद प्रदेश सरकार से 11-11 लाख रुपए देने की घोषणा कर दी है।