मुसलमानो ने ख़ारिज किया सपा-बसपा गठबंधन, गठबंधन को लेकर ये है शंका

मुसलमानो ने ख़ारिज किया सपा-बसपा गठबंधन, गठबंधन को लेकर ये है शंका

नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन से प्रदेश के मुसलमान खुश नहीं हैं। अधिकांश मुसलमानो का मानना है कि यह गठबंधन केंद्र में सेकुलर सरकार बनने में रुकावट बन सकता है।

प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाको में लोगों से बातचीत में लोगों ने कहा कि यदि इस गठबंधन में कांग्रेस शामिल नहीं है तो उत्तर प्रदेश में तो बीजेपी रुक जायेगी लेकिन जब केंद्र में सरकार बनाने की बात आएगी तो सपा बसपा बीजेपी को भी समर्थन कर सकते हैं।

आम मुसलमानो की राय में गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल किया जाना चाहिए था। चूँकि कांग्रेस इस गठबंधन से बाहर है इसलिए कई लोकसभा सीटों पर सेकुलर मतो का विभाजन तय है। जिसका सीधा लाभ बीजेपी को मिल सकता है।

मुसलमानो ने अपनी बेबाक राय रखते हुए पुराने उदाहरण भी सामने रखे। लोगों का कहना था कि उत्तर प्रदेश में मायावती और मुलायम बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता हासिल कर चुके हैं। वहीँ समाजवादी पार्टी एकबार बाबरी मस्जिद मामले में आरोपी पूर्व सीएम कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में जगह दे चुकी है।

लोगों ने कहा कि ऐसे हालातो में इस गठबंधन पर ये भरोसा कैसे किया जाए कि वह केंद्र में सेकुलर सरकार बनने में रोड़ा नहीं बनेगा या अच्छी तादाद में सीटें मिलने पर अंतिम क्षणों में एनडीए में शामिल नहीं हो जाएगा ?

वहीँ अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ ने भी सपा बसपा गठबंधन को लेकर असहमति जताई है। शनिवार को एएमयू यूनियन हॉल में पत्रकारों से बात करते हुए एएमयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष हमजा सुफियान ने इस गठबंधन को ‘ठगबंधन’ करार दिया।

उन्होंने कहा कि दोनों दल मुसलमानों का वोट लेकर हमेशा सत्ता हासिल करते आ रहे हैं, लेकिन इस तथाकथित गठबंधन में मुस्लिम राजनीतिक दलों का कोई प्रधिनित्व नहीं दिख रहा है।

सुफियान ने कहा कि मुसलमानों के नसीब में मोब लीचिंग या दंगा मिला। चाहे किसी की भी सरकार हो मुसलमानों को कुछ नहीं मिला। बहनजी दलितों की और बाबूजी यादवों की राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस गठबंधन में उलेमा कौंसिल, पीस पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसी पार्टियों को शामिल नहीं करते तो हमारे पास नोटा का भी ऑप्शन है।

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TeamDigital