मीडिया को सत्ता में बैठे लोगों से सवाल पूछने का हक़ : राष्ट्रपति
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों से सवाल पूछने का अधिकार राष्ट्र के ‘संरक्षण’ की बुनियाद है, खासतौर से ऐसे समय में जब सबसे ऊंची आवाज में बोलने वालों के शोर में असहमति की आवाजें डूब रही हैं।
द्वितीय रामनाथ गोयनका व्याख्यान में गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों से सवाल पूछने की जरूरत राष्ट्र के संरक्षण और सही मायने में एक लोकतांत्रिक समाज का सारतत्व है। यह वो भूमिका है जिसे परंपरागत रूप से मीडिया निभाता रहा है और उसे आगे भी इसका निर्वाह करना चाहिए। कारोबारी नेताओं, नागरिकों, और संस्थानों सहित लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी हितधारकों को यह महसूस करना चाहिए कि सवाल पूछना अच्छा है, सवाल पूछना स्वास्थ्यप्रद है और दरअसल यह हमारे लोकतंत्र की सेहत का मूलतत्त्व है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी समझ से प्रेस अगर सत्ता में बैठे लोगों से सवाल पूछने में विफल रहता है तो यह कर्त्तव्य पालन में उसकी विफलता मानी जाएगी, तथापि इसके साथ ही उसे सतहीपन और तथ्यात्मकता, रिपोर्टिंग और प्रचार के बीच का फर्क समझना होगा। मीडिया के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है और यह वह चुनौती है जिसका उसे हर हाल में मुकाबला करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसे न्यूनतम प्रतिरोध का रास्ता चुनने के लालच से परहेज करना चाहिए जो इस बात की अनुमति देता है कि वर्चस्व वाले दृष्टिकोण पर सवाल उठाए बिना इसे जारी रहने दिया जाए, मीडिया को चाहिए कि दूसरों को सत्ता पर सवाल उठाने का अवसर उपलब्ध कराए। मीडिया को स्वतंत्र व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से समझौता किए बगैर तमाम तरह के दबावों को झेलने और अनुकूलन को लेकर सतत सतर्क रहने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सभ्यता ने हमेशा से बहुलवाद का उत्सव मनाया है और सहनशीलता को प्रोत्साहित किया है। जन के रूप में ये चीजें हमारे अस्तित्व के मूल में हैं, जो कई तरह की विभिन्नताओं के बावजूद सदियों से हमें एक सूत्र में बांधती रही हैं। उन्होंने कहा कि ताजी हवाओं के लिए हमें खिड़कियां खोलते रहना चाहिए, पर जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा है कि ध्यान रखें कि इन हवाओं में कहीं खुद न उड़ जाएं।