मालेगांव ब्लास्ट : आरोपियों को बचाने के लिए एनआईए ने ढाल की तरह काम किया
मुंबई । एनआईए की 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की पूर्व वकील रोहिणी सालियान ने आज आरोप लगाया कि यहां विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन पक्ष ने आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह की जमानत याचिका का विरोध नहीं करके आरोपी के लिए ‘‘ढाल’’ की तरह काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष ने साध्वी की जमानत का विरोध नहीं किया..उन्होंने बचाव पक्ष के वकील की तरह काम किया।यह कानून के शासन के विरूद्ध है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘वास्तव में हस्तक्षेप करने वालों, विस्फोट पीड़ितों के परिजनों ने अभियोजन पक्ष की तरह व्यवहार किया तथा साध्वी की: जमानत के खिलाफ मामले में दलीलें दीं।’’ विशेष एनआईए अदालत ने 28 जून को साध्वी की जमानत को खारिज कर दिया और एक तरह से एनआईए की क्लीन चिट पर सवाल उठाए। अदालत ने पाया कि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि साध्वी के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं।
सालियान ने कहा कि यदि एनआईए मामले से समुचित ढंग से नहीं निबट सकता तो उसे मामले को वापस एटीएस को सौंप देना चाहिए जो मूल जांच एजेंसी है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें यदि इससे निबटना बहुत कठिन लग रहा है तो वह इसे वापस एटीएस को दे सकते हैं। इसको लेकर एनआईए कानून में एक प्रावधान है। एनआईए 2011 से क्या कर रही है।’’
सालियान ने कहा कि एटीएस पर कटाक्ष करने और जांच अधिकारियों के नाम को बदनाम करने से संदेह उत्पन्न होता है :एनआईए के काम के बारे में सालियान ने एनआईए द्वारा आरोपपत्र दाखिल कर मकोका के तहत आरोप वापस लिये जाने के कारण एजेंसी की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें कोई अतिरिक्त सामग्री नहीं है।
सालियान पिछले साल एनआईए पर यह आरोप लगाते हुए मामले से हट गयी थी कि एजेंसी ने उन पर मामले में आरोपियों के प्रति नरमी का रूख अपनाने को कहा था। उन्होंने जांच एजेंसी के पूर्व में गिरफ्तार किये गये कुछ आरोपियों को क्लीन चिट देने के अधिकार पर भी सवाल उठाया।