मालेगांव धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा की जमानत याचिका खारिज
मुंबई । एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने मालेगांव धमाकों में आरोपी साध्वी प्रज्ञा की जमानत याचिका खारिज कर दी। मंगलवार को मुंबई की एक कोर्ट ने सुनवाई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। साल 2008 में मालेगांव धमाके हुए थे, जिसमें साध्वी प्रज्ञा को आरोपी बनाया गया था।
2008 मालेगांव धमाकों के मामले में नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की ओर से शुक्रवार (13 मई) को दायर की जाने वाली चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम आरोपियों में शामिल नहीं करने का फैसला किया गया था। प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम आरोपियों में शामिल नहीं होने की वजह से उनके जेल से जल्दी बाहर आने की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी और इसी के बाद उन्होंने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी।
मालेगांव बम धमाके (2008) में कुल 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 के करीब घायल हुए थे। तत्कालीन जांच एजेंसी एटीएस ने जांच में पाया कि बम लगाने के लिए जिस मोटर साइकिल का इस्तेमाल किया गया था वो साध्वी के नाम पर थी। हालांकि साध्वी का कहना है कि धमाके के दो साल पहले से ही वह मोटर साइकिल रामचंद्र कलसांगरा इस्तेमाल कर रहा था। रामचंद्र कलसांगरा फरार आरोपी है।
साध्वी की गिरफ्तारी के बाद मामले में एक-एक कर 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई। जिसमें सेना के कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय और दयानंद पांडे जैसे साधु संत भी हैं। एटीएस ने मामले में एक आरोपी राकेश धावड़े पर परभणी और जालना बम धमाकों में चार्जशीट दिखाकर मकोका लगाया था।
लेकिन एनआईए का कहना है कि राकेश धावड़े को पहले 2008 के मालेगांव बम धमाके में गिरफ्तार किया गया फिर मकोका लगाने के इरादे से उसे परभणी और जालना बम धमाकों में आरोपी बनाकर चार्जशीट दायर की गई। एनआईए का तर्क है कि मामले पर मकोका नहीं बनता और मकोका हटता है तो साध्वी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पर्याप्त सबूत नहीं है।