महागठबंधन पर मंथन के लिए अब 29 जनवरी को दिल्ली में जुटेंगे गैर बीजेपी दलों के नेता

नई दिल्ली। कल मुंबई में संविधान बचाओ मार्च में जुटे गैर बीजेपी दलों के नेता अब 29 जनवरी को एक बार फिर दिल्ली में बैठक करेंगे। 2019 के आम चुनावो में गैर बीजेपी दलों का महागठबंधन बनाने के प्रयासों के तहत कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा जदयू के बागी नेता शरद यादव,पाटीदार नेता हार्दिक पटेल इस बैठक में शामिल होंगे।
इससे पहले कल मुंबई में संविधान बचाओ मार्च के तहत साथ प्रमुख राजनैतिक दलों के नेताओं ने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर प्रतिमा से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा (गेट वे ऑफ़ इंडिया) तक मार्च किया था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कल कहा था कि हमारे पास जो भी वो संविधान की वजह से ही है। अगर संविधान सुरक्षित नहीं रहेगा तो फिर हमारे पास कुछ नहीं रहेगा। ये सरकार बनाम विपक्ष नहीं है, ये एनडीए बनाम यूपीए भी नहीं है. ये सिर्फ देश के संविधान के लिए है।’
वहीँ सूत्रों की माने तो 2019 के चुनाव में बीजेपी को परास्त करने के लिए देश के प्रमुख गैर बीजेपी दलों का महागठबंधन बनाने के लिए भी प्रयास तेज हो गए हैं। गैर बीजेपी दलों के महागठबंधन के लिए तृणमूल कांग्रेस,नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रीय जनता दल ने पहले ही हामी भर दी है। वहीँ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा बिना किसी से गठबंधन किये चुनाव लड़ने का एलान करने के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के लिए गठबंधन में शामिल होने का रास्ता साफ़ हो गया है।
पहले कहा जा रहा था कि यदि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दोनो गठबंधन में शामिल होते हैं तो पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे को लेकर रार पैदा हो सकती है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तृणमूल कांग्रेस की घोर विरोधी मानी जाती है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा था कि क्या महागठबंधन के नाम पर दो परस्पर विरोधी दल एक मंच पर आ पाएंगे अथवा नहीं।
वहीँ सूत्रों के अनुसार अब 29 जनवरी को दिल्ली में आयोजित बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अथवा पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भाग ले सकती हैं। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्ष को एकजुट करने के लिए जदयू के बागी सांसद शरद यादव और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
इसलिए समझा जाता है कि संविधान बचाओ मार्च को देशभर में आयोजित कर विपक्ष की एकता का सन्देश देने के लिए विचार विमर्श में कांग्रेस के आला नेता शामिल हो सकते हैं।