मध्य प्रदेश में कांग्रेस बसपा के बीच गठजोड़ के कयासों पर मुहर

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में इस वर्ष के अंत तक होने जा रहे विधानसभा चुनावो के लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के अनुसार कांग्रेस मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर अंतिम रूप दे रही है।
दरअसल कर्नाटक में मिली सफलता के बाद कांग्रेस राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है। कल कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस आशय की जानकारी देते हुए कहा था कि कांग्रेस अलग अलग राज्यों में अलग अलग क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करने पर विचार कर रही है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावो को 2019 के आम चुनावो का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इस दृष्टि से कांग्रेस हर कदम फूँक फूँक कर रख रही है।
मध्य प्रदेश में 20 जिलाध्यक्षों की न्युक्ति के मामले में भी आलाकमान का पूरा हस्तक्षेप रहा है। इससे पता चलता है कि राज्य में चुनावो से पहले कांग्रेस आलाकमान संगठन के नट बोल्ट कसने से लेकर पार्टी की आंतरिक गुटबंदी खत्म करने तक सभी स्तर पर प्रयास कर रहा है।
मध्य प्रदेश में दलित मतदाताओं का औसत करीब 7 प्रतिशत माना जाता है। वहीँ राजस्थान में 4 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ 5 प्रतिशत हिस्सा दलित मतदाताओं का माना जाता है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस के 36 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दलित मतदाताओं का 7 प्रतिशत वोट शेयर और जुड़ जाए तो पार्टी की जीत की संभावनाएं प्रवाल हो सकती हैं। पार्टी के चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि इस दो से तीन फीसदी वह मतदाता भी कांग्रेस के साथ जुड़ा है जो मोदी सरकार से नाराज़ है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार यदि बसपा से गठजोड़ हुआ तो मध्य प्रदेश की भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की करीब 30 से 40 सीटों पर परिणाम बदल सकते हैं।
फिलहाल देखना है कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की संभावनाएं हकीकत में बदलने में कितना समय लगता है। लेकिन कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन होना तय माना जा रहा है।