मजहबे इस्लाम ने महिलाओं को जो सम्मान दिया है, शायद किसी अन्य धर्म में नहीं
सिद्धार्थनगर। इस्लाम में आतंक और आतंकवाद का कोई वजूद नहीं। इंसानिसत से छेड़छाड़ व खिलवाड़ करने वाले सच्चे मुस्लिम नहीं हो सकते। इस्लाम अमन व शांति का मजहब है।
यह औरों की नापाक शाजिश है, जो ऐसा कर रहे हैं। ऐसा करने वालों से सावधान रहें। इस्लाम कभी भी आतंकवाद की इजाजत नहीं देता। इस्लाम तलवार से नहीं बल्कि अच्छे और कुशल व्यवहार से फैला है।
यह बातें सोमवार की रात विकास क्षेत्र उसका बाजार के ग्राम सभा सोहास शुमाली के टोला शिशहनिया के मदरसा अहयायुल वलूम के परिसर में आयोजित एक दिवसीय तामीर-ए-इंसानियत कांफ्रेंस में इटावा से आए मौलाना मोहम्मद जरजीश इटावी ने खेताब करते हुए कहा।
उन्होंने कहा कि समाज में देखा जाए तो गांव से लेकर शहर तक और देश-प्रदेश में रोजाना बेकसूर और मासूमों की हजारों हजार की तादाद में भ्रूण हत्या से सरकारी और गैर सरकारी हास्पिटलों व नर्सिंग होम में होती है। मुल्क के रहनुमाओं को सबसे ज्यादा इस पर अंकुश लगाना चाहिए।
मजहबे इस्लाम ने महिलाओं को जो सम्मान दिया है, शायद किसी अन्य धर्म में नहीं। कांफ्रेंस में नेपाल के जामिया सेराजुल वलूम के वाइस प्रिंसिपल मौलाना अब्दुल मन्नान सल्फी ने कहा कि जिसकी पत्नी संस्कार से परिपूर्ण होती हैं उनका मानवता के निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसा न होना फिर अभिशाप जैसा होना प्रतीत होने लगता है।
मुंबई से आए मौलाना शमीम फौजी ने कहा कि समाज के अच्छे निर्माण में नौजवानों का अपना अलग मुकाम होता है। नौजवान चाह लें कि मुझे अपनी शादी-विवाह, जिंदगी का कोई कार्य इस्लाम के नियमों और आखिरी पैगंबर जनाबे -ए-हजरत मोहम्मद साहब के बताए हुए वसूलों के मुताबिक ही करूंगा तो दहेज जैसी खतरनाक और मोहलिक बीमारी समाज से अपने आप ही समाप्त हो जाएगी।
दहेज लेना और देना दोनों सरई और कानूनन अपराध है। बहुत सी बहनों का सुहाग पर आंच नही आएगी। बनारस से आए मौलाना गप्फार सल्फी ने कहा कि जिस भी मुसलमान के दिल में आशिके रसूल नहीं उसका सीना वीरान और जंगल जैसा है।
एक और नेक बनना है तो नबी के बताए मार्ग को अपनाना पड़ेगा। वरना दाढ़ी रख लेने, नाम रहमान अब्दुल्लाह व कुर्ता पैजामा पहनने से मुसलमान नहीं हो सकते। कांफ्रेंस को मुंबई के मौलाना अबूजर मदनी, मारुफ सेराजी, अहमद हुसैन फैजी, हाफिज अबदुल्लाह, अब्दुस्सलाम सल्फी, ईशा बेलाल फैजी, अब्दुल्लाह सेराजी आदि उलेमाओं ने खेताब किया ।
कान्फ्रेंसकी शुरूआत कारी इश्तियाक अहमद ने तेलावते कलामे-ए-पाक से व संचालन मौलाना अब्दुल अजीज शाहीन, सदारत शेख अब्दुल कुद्दुश मदनी ने किया। कान्फ्रेंस के आयोजक अलहाज शहाबुद्दीन, हाजी तबारक ने आभार जताया।
इस अवसर अवसर मौलाना अतीकुर्रहमान, सदर विधायक विजय पासवान, डॉ.फारीद अहमद सल्फी, सेठ जाकिर अली, हाजी जली, मौलाना अबदुल हमीद अशरफ, हाफिज अब्दुल्लाह, अब्दुल कलाम, मौलाना मुस्तफा मक्की, शरीफ खान, मास्टर जमील अहमद, हाजी सुल्तान साहब, याहिया आदि मौजूद रहे।