भोपाल एनकाउंटर : 3 कैदियों को कोर्ट ने किया था बरी, पुलिस द्वारा पेश सबूतों को बताया था झूठ

नई दिल्ली । भोपाल एनकाउंटर में मारे गए आठ कैदियों में से तीन कैदियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था । पुलिस द्वारा पेश किया गए सबूतों को कोर्ट ने अविश्वसनीय करार दिया था । इन कैदियों की जल्द ही रिहाई होने वाली थी लेकिन पुलिस ने उन्हें जेल तोड़कर भागने के रहस्यमयी नाटक के बाद एनकाउंटर में मार गिराया ।

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार एक साल पहले खांडवा कोर्ट ने अकील खिलजी पर 2011 के एक मामले के लिए मध्यप्रदेश पुलिस और उस केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को लताड़ भी लगाई थी। इतना ही नहीं कोर्ट ने अकील खिलजी को गैरकानूनी गतिविधि कड़े (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तरत बरी भी कर दिया था। वहीं अजमद रमजान खान और मोहम्मद सालिख को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर रखा था।

कोर्ट ने पुलिस को इस बात के लिए भी लताड़ लगाई थी कि उसने जरूरी दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा था। खिलजी को 13 जून 2011 में गिरफ्तार किया गया था। उसपर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने का आरोप था। उसके बाद 30 सितंबर 2015 को रिहा कर दिया गया था।

फिलहाल खिलजी अपने ऊपर लगे बाकी तीन केसों के लिए ट्रायल का इंतजार कर रहा था। 47 साल का खिलजी खांडवा का रहने वाला था। उसपर काफी सारे केस थे। जो कि 2000 में सिमी के बैन हो जाने के बाद लगे थे। उसपर खांडवा में चार बार सांप्रदायिक दंगे करवाने के आरोप थे।

2011 वाले केस में पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि खिलजी के घर पर 10-15 सिमी के लोग एकत्रित थे और बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे। उस वक्त पुलिस ने खिलजी के घर पर रेड मारकर सिमी के जुड़े दस्तावेज और भड़काऊ सीडी बरामद करने की भी बात कही थी।

खबर के अनुसार कोर्ट ने 2011 वाले केस का फैसला देते हुए कहा था कि हरदेव सिंह के अलावा मौके पर मौजूद किसी पुलिसवाले ने उन लोगों द्वारा जिहाद के समर्थन में नारे लगाते आवाज नहीं सुनी थी। इसके लिए उसे रिहा कर दिया गया था। उस वक्त कोर्ट ने अबदुल्ला नाम के एक दूसरे शख्स को भी रिहा किया था वह जाकिर हुसैन का भाई थी। जाकिर हुसैन भी भोपाल पुलिस के एनकाउंटर में मारा गया था।

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TeamDigital