भीड़ द्वारा पीट पीट कर मारे गए कासिम के मामले को रोड रेज का मामला बनाने की कोशिश !
गाज़ियाबाद। हापुड़ में दो मुस्लिम व्यक्तियों पर गौकशी के लिए गाय ले जाने के शक में हिन्दू संगठनों से जुड़े लोगों की भीड़ द्वारा किये गए हमले में मौ कासिम की मौत हो गयी वहीँ समीउद्दीन की हालत गंभीर बताई जाती है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भीड़ ने मृतक कासिम और बुज़ुर्ग समीउद्दीन की एक नहीं सुनी और न ही उनसे कोई सवाल जबाव किया बल्कि भीड़ उन पर टूट पड़ी और बेरहमी से मारना शुरू कर दिया। इस दौरान 60 वर्षीय बुज़ुर्ग समीउद्दीन गिडगिडाते रहे और भीड़ से छोड़ने की विनती करते रहे। समीउद्दीन कसमें खाकर कहते रहे कि गाय उनकी पालतू है और वे इसे बेचने नहीं जा रहे हैं।
इसके बावजूद भीड़ ने किसी की एक नहीं सुनी और दोनों को घसीट घसीट कर पीटने का सिलसिला जारी रखा। इस मामले में जब छानबीन की गयी तो पता चला कि पुलिस ने इस पूरी घटना को रोडरेज की घटना के तौर पर दर्ज किया है।
सूत्रों की माने तो पुलिस पर हिन्दू संगठनों और बीजेपी नेताओं के दबाव के चलते मामले को मॉब लिंचिंग की घटना की जगह रोड रेज के मामले के तौर पर दर्ज किया।
इस घटना से जुडी वायरल हो रही एक तस्वीर में पुलिस की मौजूदगी में घायल मो कासिम को हाथ पेर पकड़ कर उठाकर लाया जा रहा है। पुलिस की इस करतूत से इंसानियत का चेहरा शमर्सार हो रहा है।
गाय के नाम पर पीट पीट कर जान से मार दिए जाने की यह पहली घटना भी है। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद न सरकार ने इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए कोई कानून अमल में लाने की कोशिश की और न ही विपक्ष इस मामले को ज़िम्मेदारी से उठा रहा है।
फिलहाल हापुड़ में हुई घटना को लेकर पुलिस की मंशा पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि इस घटना में शामिल दो लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि गिरफ्तार दोनों व्यक्तियों पर संगीन धाराएं नहीं लगायी गयीं है। जिससे ये लोग जल्द ज़मानत पर छूट जाएंगे और इनके हौसले इन्हे ऐसी ही अन्य घटनाओं को अंजाम देने के लिए उत्साहित करेंगे।