बड़ा सवाल: खुफिया जानकारी के बाद भी कैसे हुई चूक?
नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले को लेकर अब सुरक्षा बंदोबस्तों और खुफियां एजेंसियों के इनपुट को लेकर सवाल उठना शुरू ही गए हैं। जानकारों का सवाल है कि यदि अमरनाथ यात्रियों पर हमले की ख़ुफ़िया जानकारी का इनपुट मिल चूका था तो सरकार ने सुरक्षा के मद्देनज़र ठोस कदम क्यों नहीं उठाये।
अधिकारियों ने कहा कि बस न तो अमरनाथ श्राइन बोर्ड में पंजीकृत थी और ना ही सुरक्षा मानकों का पालन कर रही थी जो कि आतंकी खतरे को देखते हुए तीर्थयात्रा के लिए अनिवार्य है। अधिकारियों ने बताया कि गुजरात की पंजीकरण संख्या जीजे 09 जेड 9976 वाली बस में सवार लोगों ने यात्रा दो दिन पहले पूरी कर ली थी और तब से वे जम्मू और पहलगाम के बीच के अमरनाथ यात्रा के वाहन वाले मार्ग से हटकर श्रीनगर में थे।
कहा जा रहा है कि सुरक्षा एजेंसियों को इस बस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि अमरनाथ यात्रियों को लेकर जा रहे सभी वाहनों को काफिले में जाते वक्त सुरक्षा कवर दिया जाता है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को इस बस के जाने के बारे में कोई सूचना नहीं थी। पहलगाम से जम्मू की तरफ जाने वाले वाहनों का सामान्य रूप से समय पूर्वान्ह का होता है क्योंकि अधिकारी सुनिश्चित करते हैं कि वे दिन में एक बजे तक कश्मीर छोड़ दें। हालांकि अब अधिकारियों का कहना है कि सोमवार की घटना को देखते हुए सुरक्षा उपायों की फिर से समीक्षा की जाएगी।
इस वर्ष श्री अमरनाथ आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाबलों की दोगुनी कंपनियां तैनात की गई हैं। 2011 में 6.35 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए थे, लेकिन इस साल कुल 2.30 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया है और यह 2011 के कुल श्रद्धालुओं का करीब 36 प्रतिशत है। उसके बाद भी यह बड़ा हमला गंभीर है।
कांग्रेस के प्रवक्ता आरएस सुरजेवाला ने कहा, “अगर 25 जून को खुफिया जानकारी थी कि अमरनाथ यात्रा पर हमला किया जाएगा, तो इससे निपटने का उपाय क्यों नहीं किया गया?” उन्होंने कहा कि अगर उग्रवादी हमले की सूचना जून माह से थी, तो सुरक्षा कवच में इतनी भारी भूल कैसे? उम्मीद है निर्णायक कार्यवाही होगी।
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को कहा कि यह सरकार और सुरक्षा बलों की गंभीर सुरक्षा चूक की बात है। अमरनाथयात्रा में मारे गए यात्रियों के परिवारों को संवेदनाएं। अब केवल बातें नहीं, उग्रवाद को मुँहतोड़ जबाब देना होगा। ये सुरक्षा कवच में चूक है।
वहीं कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदारी स्वीकार करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इन कायर आतंकवादियों से भारत कभी भी भयभीत नहीं होगा। उन्होंने ट्वीट किया कि यह एक गंभीर और अस्वीकार्य सुरक्षा चूक है। प्रधानमंत्री को इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। और इसे फिर से नहीं होने देना चाहिए।
सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने भाजपा सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया कि साल 2000 में भी ऐसी घटना हुई थी जब एनडीए की अगुवाई वाली सरकार थी, अब फिर से 2017 में।
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी को भी हमले के बारे में राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरकार को कुछ सवालों के जवाब देने की आवश्यकता होगी, आज नहीं तो कल। उन्होंने कहा हम लश्कर और आईएसआई को सफल होने की अनुमति नहीं दे सकते। देश एकजुट है। यह एक घृणित हमला था।