बीजेपी नेता गायो को मारने के लिए रखता था भूखा, मौत के बाद बेचता था हड्डी और खाल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजेपी नेता की गौशाला में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई गायो की मौत मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में आरोपी बीजेपी नेता हरीश वर्मा ने पुलिस को दिए बयान में स्वीकार किया है कि वह मरी हुई गायो का कारोबार करता था। इतना ही नहीं वह गायो की खाल और हड्डियां भी बेचता था।
तीन गौशालाएं चलाने वाले बीजेपी नेता को राज्य सरकार से गौ शालाओं के संचालन के लिए आर्थिक मदद मिलती थी। हाल ही में बीजेपी नेता हरीश वर्मा की गौशालाओं में 300 से अधिक गायो की संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हो गयी थी। जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर बीजेपी नेता से पूछताछ की थी। पूछताछ में बीजेपी नेता से चौंकाने वाले खुलासे किये हैं।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के आईजी दीपांशु काबरा ने 26 अगस्त को कहा कि गौ सेवा आयोग का आरोप था कि हरीश वर्मा जान बूझ कर गायों को मरने छोड़ देता था और मरी हुई गायों को कसाइयों को बेच देता था, जांच में सही पाया गया है। पुलिस के मुताबिक हरीश वर्मा गायों के मर जाने के बाद उनके चमड़े और हड्डियों का भी व्यापार करता था।
बीजेपी नेता हरीश वर्मा पर यह भी आरोप है कि राज्य की गौसेवा आयोग से फंड पाने के बाद भी हरीश वर्मा ने इनका इस्तेमाल गायों की देख रेख पर नहीं किया। इसकी वजह से गायें भूख और बीमारी से मर गईं।
हरीश वर्मा पुलिस की रडार में तब आया जब शगुन गौशाला में इसी महीने लगभग 200 गायें मरी हुई पाई गईं। अधिकारियों ने यहां 40 मरी हुई गायों को अपनी आंखों से देखा था। गांव वालों का कहना है कि हरीश वर्मा तब तक कई गायों को दफना चुका था।
एफआईआई के मुताबिक जून 2015 में स्थापित मयूरी गौशाला को अबतक सरकार से 22 लाख 64 हजार रुपये मिल चुके हैं, जबकि 2014 में शुरू किये गये फूल चन्द्र गौशाला को 50 लाख रुपया मिल चुका है। और 2011 से चल रहे शगुन गौशाला को अब तक 93 लाख रुपये मिल चुके हैं।