बीजेपी को झटका: सुप्रीमकोर्ट ने कहा विधायकों को बंधक नहीं बनाया जा सकता
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिए जाने की मांग वाली बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान तथा बीजेपी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश के 16 विधायकों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता है।
इतना ही नहीं सुप्रीमकोर्ट ने विधायकों को जज के चैंबर में पेश करने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि विधायकों खुद फैसला करने का अधिकार है कि वे विधानसभा के फ्लोर टेस्ट में जाना चाहते हैं या नहीं।
कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 बागी विधायकों को फैसला करने की पूरी आजादी मिले। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रखने का फैसला किया है।
बागी विधायकों की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि वे (बागी विधायक) कांग्रेस के किसी नेता से नहीं मिलना चाहते हैं। विधायकों पर किसी तरह का दबाव डालकर मजबूर नहीं किया गया है।
अधिवक्ता ने कहा कि वे संविधान के अनुसार किसी भी कार्रवाई का सामना करने को तैयार हैं लेकिन वे कांग्रेस के किसी नेता नहीं मिलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विधायकों ने प्रेस कांफ्रेस आयोजित करके घोषणा की है कि उन्होंने फैसले अपनी मर्जी से लिए हैं।
वहीँ कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि बागी विधायकों को चार्टर्ड विमान से बेंगलुरू ले जाया और वहां एक रिजॉर्ट में रखा गया। यह सारा इंतजाम भाजपा द्वारा किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और स्पीकर को शक्ति परीक्षण कराने के लिए रात को निर्देश देकर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। राज्यपाल को इस तरह का निर्देश देने का अधिकार नहीं है।
कांग्रेस ने जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की बेंच के समक्ष आरोप लगाया कि बागी विधायकों के इस्तीफे जोर-जबरदस्ती करके लिए गए। उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफे नहीं दिए हैं।