बीजेपी को किसी हाल में समर्थन नही देगा तीसरा मोर्चा: टीआरएस
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव अभी सम्पन्न नहीं हुए हैं, अभी सातवें और आखिरी चरण के लिए 19 मई को देश की 59 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होना है। इस सबसे अलग विपक्षी दलों ने केंद्र में सरकार बनाने के लिए अभी से लामबंद होना शुरू कर दिया है।
हालाँकि केंद्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस अभी देखो, समझो और बोलो की नीति अपना रही है। वहीँ तेलंगाना के मुख्यमंत्री के सी राव गैर कोंग्रेसी विपक्षी दलों को एकजुट कर सरकार बनाने की मंशा ज़ाहिर कर चुके हैं।
हालाँकि के सी राव के प्रयासों को उस समय झटका भी लगा जब तमिलनाडु में डीएमके प्रमुख ने साफतौर पर तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की संभावनाओं को ख़ारिज करते हुए डीएमके और कांग्रेस के गठबंधन का तर्क देकर तीसरे मोर्चे में शामिल होने से इंकार कर दिया।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव तीसरे मोर्चे को एकजुट करने के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन, सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मिल चुके हैं लेकिन डीएमके और टीडीपी के अलावा ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के कांग्रेस के साथ रहने के संकेत दिए जाने के बाद के सी राव अलग थलग पड़ते दिखाई दे रहे हैं।
वहीँ अब टीआरएस ने अपने रुख में बदलाव किया है। अब टीआरएस का कहना है कि यदि कांग्रेस ड्राइवर सीट की मांग नहीं रखती तो क्षेत्रीय दलों को यह मौका मिलेगा। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने मंगलवार को कहा कि तीसरा मोर्चा कांग्रेस से समर्थन लेने के लिए तैयार है। लेकिन शर्त यह है कि सरकार का संचालन क्षेत्रीय दलों के पास ही होगा।
टीआरएस प्रवक्ता आबिद रसूल खान का कहना है कि उनकी पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व वाले संगठन के साथ काम करने को तैयार है। चंद्रशेखर राव इस बात पर दृढ़ हैं कि ड्राइवर सीट पर संघीय मोर्चा होना चाहिए और उसी को सरकार चलानी चाहिए।
रसूल ने यह भी कहा कि यदि 23 मई को बीजेपी और कांग्रेस दोनों सरकार बनाने की स्थति में नहीं होते तो तीसरा मोर्चा कांग्रेस से बाहर से समर्थन लेकर सरकार बनाने पर विचार करेगा।
आबिद रसूल ने कहा कि तीसरा मोर्चा किसी भी हाल में बीजेपी का समर्थन नहीं करेगा। हम भाजपा के खिलाफ हैं। हम भाजपा के साथ कुछ नहीं चाहते, न उसका समर्थन करना चाहते, न उससे समर्थन लेना चाहते।
फिलहाल देखना है कि 23 मई को आने वाले चुनाव परिणाम में देश की राजनीति का ऊँट किस करवट बैठता है। चुनावी नतीजे आने के बाद ही तय हो सकेगा कि देश में नई सरकार का चेहरा कौन होगा।