बीजेपी के मिशन 2019 में रोड़ा बन सकता है कर्नाटक, पराजय की धमक ने छोड़े चिंता के निशान

बीजेपी के मिशन 2019 में रोड़ा बन सकता है कर्नाटक, पराजय की धमक ने छोड़े चिंता के निशान

नई दिल्ली(राजाज़ैद)। कर्नाटक में आज सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद अब माथापच्ची का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी नेता अपनी अपनी पार्टी के प्रदर्शन को लेकर हिसाब किताब में जुट गए हैं। हालाँकि चुनाव परिणाम 15 मई को आयेंगे लेकिन इसके बावजूद सत्ता की दौड़ शुरू हो चुकी है।

जानकारों की माने तो चुनाव बाद आये ओपिनियन पोल से बीजेपी को बड़ा धक्का ज़रूर लगा है। अधिकांश एग्जिट पोल में हंग विधानसभा या कांग्रेस को जीता हुआ बताया जा रहा है।

यदि हंग विधानसभा बताने वाले एग्जिट पोल को सही मान लिया जाए फिर भी इस बात की संभावना बेहद कम ही है कि कर्नाटक में बीजेपी सत्ता बना पाएगी। चुनावी जानकारों का कहना है कि यदि राज्य में हंग विधानसभा की स्थति बनती है तो भी जनता दल सेकुलर बीजेपी को समर्थन देने से पहले दस बार सोचेगी। इसका बड़ा कारण जम्मू कश्मीर और बिहार में बीजेपी के समर्थन से बनी सरकारों पर बीजेपी नेताओं के अनावश्यक दबाव बड़ा उदाहरण है।

जानकारों के अनुसार हंग असेम्बली की दशा में जनता दल सेकुलर बीजेपी को समर्थन देकर या उससे समर्थन लेकर 2019 के चुनाव में अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को खोना नही चाहेगी।

जानकारों के अनुसार यदि कांग्रेस को बहुमत मिल जाता है और वह सरकार बनाने में कामयाब रहती है तो बीजेपी के लिए इस वर्ष के अंत तक होने जा रहे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के चुनाव में कर्नाटक चुनाव परिणामो का असर देखने को मिल सकता है।

जानकारों की माने तो यदि कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता में वापसी करती है तो उसका न सिर्फ मनोबल बढेगा बल्कि बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के जुमले पर बड़ा ब्रेक लग जायेगा।

ऐसे हालातो में बीजेपी के चेहरे पर चिंता के निशान उभर आना लाज़मी है। कर्नाटक में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी थी। करीब 15 केन्द्रीय मंत्री कर्नाटक में एक महीने से धूल फांक रहे थे। इतना ही नही करीब 4 दर्जन सांसद और कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी लगातार कर्नाटक में जगह जगह घूमकर बीजेपी के लिए वोट मांग रहे थे। इतनी ताकत झोंकने के बावजूद भी यदि पार्टी सत्ता से वंचित रहती है तो ये उसके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नही है।

कर्नाटक में बीजेपी की सरकार नही थी, इसलिए उसके लिए न सरकार विरोधी लहर थी और न ही उसके वोटर्स पर सरकार की छवि का कोई असर होने वाला था। इसके विपरीत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की सरकारें हैं।

ऐसे में बीजेपी की चिंता का बड़ा कारण यह भी है कि यदि वह कर्नाटक में कांग्रेस का दुर्ग भेदने में असफल रहती है तो जिन राज्यों में उसकी सरकारें हैं वहां तो उसे सरकार विरोधी हवा को भी झेलना है। ऐसे में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के दुर्ग बीजेपी कैसे बचा पायेगी ये उसके लिए एक बड़ा सवाल है।

जानकारों की माने तो यदि कर्नाटक में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावो में बड़े आत्मविश्वास के साथ बीजेपी का मुकाबला करेगी। ऐसे में बीजेपी का मिशन 2019 खतरे में पड़ सकता है।

फिलहाल सभी की नज़रें 15 मई पर टिकी हैं, जब कर्नाटक विधानसभा चुनावो के परिणाम घोषित किये जायेंगे। ज़रूरी नही कि आज आये एग्जिट पोल सही साबित हों लेकिन यदि सही साबित हुए तो बीजेपी के मिशन 2019 के लिए कर्नाटक बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।

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