बीजेपी के आंतरिक सर्वे में 60% सांसदों की आयी नेगेटिव रिपोर्ट

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसदों को लेकर कराये गए आंतरिक सर्वे में 60% सांसदों की नेगेटिव रिपोर्ट आने से पार्टी के अंदर खलबली मची है।
हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक बीजेपी द्वारा अपने के आंतरिक तंत्रो के माध्यम से जुटाई गयी जानकारी में सामने आया है कि 60 फीसदी सांसदों से पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराज़गी है।
अभी हाल ही में दिल्ली के रामलीला मैदान में सम्पन्न हुई भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पहुंचे देशभर के पार्टी के कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओं ने पार्टी फोरम में अपनी बात रखी थी।
इस बैठक का मकसद तो चुनावी एजेंडा तैयार करना था लेकिन कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान पार्टी सांसदों से उनकी नाराज़गी उभर कर सामने आगयी। खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश और बिहार के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कुछ मंत्रियों के नाम लेकर कहा कि यदि इन्हे फिर से टिकिट दिया गया तो राज्य में पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।
खबर में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि कार्यकर्ताओं से मिले नेगेटिव फीडबैक और आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर इस बार बीजेपी करीब 20 फीसदी सांसदों के टिकिट काटकर उनकी जगह नए चेहरे चुनाव में उतार सकती है।
गौरतलब है कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आयी है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी उन बड़बोले सांसदों और मंत्रियों के भी टिकिट काटने का मन बना रही है जिनके अनावश्यक बयानों के चलते पार्टी की किरकिरी हुई है।
तीन राज्यों में पराजय के बाद बदली बीजेपी ने रणनीति:
वहीँ पार्टी सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की पराजय के बाद पार्टी अब नई रणनीति के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेगी। सूत्रों के मुताबिक एससी/एसटी एक्ट में संशोधन से नाराज़ हुए सवर्णो को दस फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव से मनाने की कोशिश की जायेगी।
इतना ही नहीं दस फीसदी आरक्षण दिए जाने के मोदी सरकार के प्रस्ताव के सन्देश को गाँव देहात और दूरदराज के सवर्ण मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए संघ की मदद ली जायेगी। सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में आरएसएस जल्द अपना चुनावी अभियान शुरू करेगा।