बिहार में कभी भी पलट सकती है राजनीति, नीतीश की महागठबंधन में वापसी की सुगबुगाहट
पटना ब्यूरो। बिहार की राजनीति में इस बात को लेकर गंभीर चर्चाएं हैं कि नीतीश कुमार किसी भी समय इस्तीफा देकर बीजेपी से दामन छुड़ा लेंगे। इतना ही नहीं बिहार में सम्प्रदायिक हिंसा के बाद राजनैतिक परिदृश्य बदलता दिखाई दे रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के सुरो में नीतीश कुमार को लेकर नरमी के संकेत मिले हैं। जो इशारा करते हैं कि नीतीश कुमार और बीजेपी का हनीमून अब समाप्त होने के कगार पर पहुँच चूका है और किसी भी समय नीतीश कुमार या तो महागठबंधन में वापसी या वे इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव कराये जाने की सिफारिश कर सकते हैं।
जदयू सूत्रों की माने तो बिहार में हुए दंगो में बीजेपी नेताओं की भूमिका से नीतीश कुमार आहत हुए हैं। वहीँ दंगो के बाद बीजेपी नेताओं की सीनाजोरी से सरकार की छवि कलंकित हुई है।
सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार बीजेपी से रिश्ते को बरकरार रखने और न रखने की दशा में हालातो का आंकलन कर रहे हैं। वे कोई भी फैसला लेने से पहले नफा नुकसान का पूरा अंदाज़ा लगाएंगे। इसके बाद ही कोई फैसला लेंगे।
फिलहाल यह तो तय है कि नीतीश कुमार 2019 तक बीजेपी को अपने कंधे पर नहीं ढोने वाले। 2019 के आम चुनावो से पहले ही वे कोई बड़ा फैसला ले लेंगे। सूत्रों ने कहा कि बीजेपी के साथ सरकार चलाकर सांप्रदायिक सरकार कहलाने से बेहतर है कि राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला ली जाये।
जदयू और भाजपा के बीच बढ़ती तल्खी के बीच कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपना चेहरा है और वो आज भी सेक्यूलर नेता के रूप में जाने जाते हैं। कांग्रेस चाहती है समान विचारधारा के लोग साथ आएं। उन्होंने कहा कि नीतिगत फैसला जदयू को लेना है। नीतीश अपना फैसला लें कि उन्हें आगे क्या करना है।
कांग्रेस के बाद राजद ने भी नीतीश के प्रति नरमी दिखाई है। राजद एमएलसी संजय प्रसाद ने कहा है कि नीतीश कुमार पहले भाजपा से अलग होने का फैसला लें। भाजपा के साथ रहे तो नीतीश पर भी सांप्रदायिकता का रंग चढ़ जाएगा।
फ़िलहाल बिहार की राजनीति में तूफान आने से पहले जैसी ख़ामोशी है लेकिन ये ख़ामोशी कितने दिनों तक बरकरार रहेगी ये आने वाले दो सप्ताह में साफ़ हो जायेगा।