बाबरी मस्जिद- राम मंदिर विवाद : पढ़िए, किसने क्या कहा
नई दिल्ली । बाबरी मस्जिद – राम मंदिर विवाद को कोर्ट के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने के सुप्रीमकोर्ट के आज के सुझाव पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सुप्रीमकोर्ट के प्रस्ताव पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने अपनी असहमति ज़ाहिर की है।
वहीँ केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। याचिका करता सुब्रमण्यन स्वामी की दलील है कि राम मंदिर अयोध्या में जन्मस्थान वाली जगह पर ही बनना चाहिए तथा बाबरी मस्जिद को सरयू नही के दूसरी तरफ भी बनाया जा सकता है।
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट में इस मामले की जल्द प्रतिदिन सुनवाई शुरू करनी चाहिए और इसका जल्द निर्णय आये।
Supreme Court should start daily hearings of this matter and we will get a judgement: Asaduddin Owaisi on SC Ayodhya matter pic.twitter.com/j0kF5WONTj
— ANI (@ANI) March 21, 2017
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फरयाब जिलानी ने कहा कि इस मामले में कोर्ट से बाहर सुलह के प्रयास पहले फेल हो चुके हैं इसलिए कोर्ट के बाहर कोई समाधान होना सम्भव नही है।
Negotiations have failed earlier, an out of court settlement is not possible :Zafaryab Jilani, Convenor, Babri Masjid Action Committee. pic.twitter.com/DfM0l5RDhA
— ANI (@ANI) March 21, 2017
वहीँ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जब इस मामले का बातचीत से कोई हल नही निकला तभी तो मामला कोर्ट में गया हैं।
Baatcheet se masla nahi suljha tabhi to matter court mein gaya tha: Sitaram Yechury, CPI(M), on SC Ayodhya Matter. pic.twitter.com/wczrgXqpth
— ANI (@ANI) March 21, 2017
केंद्रीय मंत्री और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी उमा भारती ने सुप्रीमकोर्ट के प्रस्ताव को स्वागत योग्य बताया है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि कोर्ट के बाहर इस मामले का हल हो जायेगा।
Its a welcome step by the Supreme Court, the matter I believe can be resolved out of court: Uma Bharti on SC Ayodhya matter pic.twitter.com/V4uJdJSLmi
— ANI (@ANI) March 21, 2017
क्या कहा सुप्रीमकोर्ट ने :
मंगलवार (21 मार्च 2017) को बाबरी मस्जिद राममंदिर विवाद में सुप्रीमकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और दोनो ही पक्ष आपसी सहमति के साथ इसका हल निकालें। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में आवश्यकता हुई तो कोर्ट हस्तक्षेप करने को तैयार है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर दोनों पक्ष सहमति से इसका फैसला करते हैं तो कोर्ट भी इसमें मध्यस्थता के लिए तैयार है। मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी।
कहाँ उलझ है पेंच:
बता दें कि इलाहबाद कोर्ट ने भी इस मामले पर 30 सितंबर 2010 को सुनवाई की थी। उनकी तरफ से फैसला करके 2.77 एकड़ की उस जमीन का बंटवारा कर दिया गया था। जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया था। जिसमें ने एक हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया जिसमें राम मंदिर बनना था। दूसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और तीसरा निरमोही अखाड़े वालों को। लेकिन फिर 9 मई को इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।