बागी विधायकों पर कल सुबह फैसला सुनाएगा सुप्रीमकोर्ट
नई दिल्ली। कर्नाटक के दस बागी विधायकों की याचिका पर आज सुप्रीमकोर्ट में चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने कल सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुनाये जाने का एलान किया है।
बागी विधायकों ने अपनी याचिका में अयोग्यता की कार्रवाही का विरोध करते हुए इस्तीफे मंजूर किये जाने की दलील दी थी। सुप्रीमकोर्ट में आज इस मामले में दोनों पक्षों को सुना और फैसला कल सुबह देने का एलान किया।
इससे पहले आज दिन भर चली सुनवाई में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के बीच तीखी बहस हुई। बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीमकोर्ट से कहा कि जब वे विधायक रहना ही नहीं चाहते तो उनका इस्तीफा स्वीकार करने में क्या दिक्क्त है।
उन्होंने सवाल किया कि विधायकों को बांधे रखने की कोशिश क्यों हो रही है। रोहतगी ने कहा कि उमेश जाधव ने इस्तीफा दिया और उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है।
रोहतगी ने बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए कहा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्होंने कोई कारण बताना पड़े।
इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई ऑर्डर दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या ऑर्डर हम दे सकते हैं? मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए।
इसके जबाव में कांग्रेस की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि स्पीकर को कुछ समय मिलना चाहिए क्योंकि उन्हें सही तर्कों के साथ इस्तीफों और अयोग्यता पर निर्णय करना है।
उन्होंने कोर्ट से कहा कि आप बंदिशे हटाइए, हम कल तक इस्तीफे और अयोग्यता पर फैसला कर लेंगे. साथ ही एक कारण भी देंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि स्पीकर को कुछ हो गया है और वो इस तरह के फैसले ले रहा है। स्पीकर काफी अनुभव वाला व्यक्ति है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस पर सिंघवी से पूछा कि अगर कोई व्यक्ति आमने-सामने इस्तीफा नहीं देता है तो क्या होता है। उन्होंने पूछा कि क्या स्पीकर ने कोर्ट आने से पहले कुछ नहीं किया। उन्होंने नोटिस जारी करना चाहिए था।
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि जब विधायकों ने इस्तीफा दिया तो स्पीकर ने क्यों कुछ नहीं किया, क्यों वो लगातार कहते रहे कि वह तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं।
सुप्रीमकोर्ट में अभी सुनवाई जारी है। बागी विधायकों के इस्तीफे मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले से कर्नाटक सरकार का भविष्य तय हो सकता है। जानकारों की माने तो कोर्ट विधानसभा अध्यक्ष के लिए कोई आदेश भी जारी कर सकता हैं। कर्नाटक विधानसभा में गुरूवार को फ्लोर टेस्ट होना है।