प बंगाल में अब कम्युनिस्ट नहीं, ममता हो सकती हैं कांग्रेस की पसंद

प बंगाल में अब कम्युनिस्ट नहीं, ममता हो सकती हैं कांग्रेस की पसंद

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट दलों के सफाये के बाद एक बात साफ़ तौर पर उभर कर सामने आयी है कि बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस में नहीं बल्कि वामदलों के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की है।

कारण कोई भी हो लेकिन वाम दलों से जुड़ा वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ जा चूका है। मजदूर और गरीब वर्ग का यह मतदाता कभी वामदलों का सेफ वोट बैंक हुआ करता था।

लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने पूरी ताकत झौंकी थी और यहाँ अपनी जड़ें जमाने के लिए हर हथगण्डा इस्तेमाल भी किया था। इसके बावजूद राज्य की मुख्यमंत्री ने हर कदम पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। मामला सीबीआई और कोलकाता पुलिस का हो या अमित शाह के रोड शो का ममता बनर्जी ने बीजेपी को यह सन्देश दे दिया कि उनसे घुटने टिकवाने इतना आसान नहीं है।

लोकसभा चुनाव में भले ही तृणमूल कांग्रेस की सीटें कम अवश्य हुईं लेकिन बीजेपी जिस करिश्मे की उम्मीद लगाए बैठी थी, उस जादुई आंकड़े तक नहीं पहुँच सकी।

लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में तेजी से परिवर्तन आना तय है। राज्य में अपने सांसदों की संख्या बढ़ने का लाभ लेते हुए बीजेपी विधानसभा चुनाव में ममता सरकार को अपदस्त करने की हर कोशिश करेगी। शायद बीजेपी की कोशिश को पहले से भांपकर अब तृणमूल कांग्रेस राज्य के विधानसभा चुनावो से पहले यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी तरह सेकुलर वोटो का विभाजन रोका जाए।

सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस दोनों के रुख में परिवर्तन आया है। सूत्रों ने कहा कि ऐसी संभावनाएं बन रही हैं कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलो के बीच गठबंधन कर चुनाव लड़ने पर सहमति बन जाए।

सूत्रों ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन में आड़े आये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को अब हटाकर उनकी जगह सोमेन मित्रा को अध्यक्ष बनाया जा चूका है। सोमेन मित्रा के ममता बनर्जी से अच्छे रिश्ते बताये जाते है।

सूत्रों की माने तो पश्चिम बंगाल की सत्ता से बीजेपी को बाहर रखने के लिए अब ममता बनर्जी की मज़बूरी है कि वे कांग्रेस के साथ हाथ मिलाएं। वहीँ पश्चिम बंगाल के कुछ इलाको तक सिमट कर रह गयी कांग्रेस के लिए भी यह एक अच्छा मौका होगा कि वह राज्य में तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लडे।

सूत्रों ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में गठबंधन न होने मात खायी कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन का कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहेगी। इसलिए फिलहाल यह माना जा रहा है कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावनाएं मजबूत होती जा रही हैं।

हालाँकि अभी विधानसभा चुनावो में ख़ासा समय बाकी है लेकिन सूत्रों की माने तो पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने कांग्रेस को भेजे अपने प्रस्ताव में तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन करने की इच्छा जताई थी। इसलिए गठबंधन की संभावनाएं प्रवल हो जाती हैं।

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TeamDigital