पेट्रोल डीजल के बाद अब गैस, बिजली और खाद भी होंगे महंगे !
नई दिल्ली। देशभर में पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच अब गैस, किसानो के उपयोग में आने वाला खाद और बिजली के भी महंगा होने की संभावना है। रसोई गैस और खाद की कीमतों में बढ़ोत्तरी की आशंका के पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राकृतिक गैस का महंगा होना बताया जा रहा है।
इस समय देश के 13 राज्यों में सिटी गैस परियोजना चल रही है। इन राज्यों में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की खाना बनाने के लिए गैस की आपूर्ति हो रही है, वहीं सीएनजी के रूप में मोटर वाहन चलाने के लिए गैस की आपूर्ति हो रही है।
सिटी गैस परियोजना के लिए घरेलू गैस की आपूर्ति करीब 25 फीसदी है। मतलब 75 फीसदी के लिए आयातित गैस पर निर्भरता है। यदि आयातित गैस महंगी होगी तो पीएनजी और सीएनजी के दाम बढ़ना तय है।
वहीँ देश में इस समय करीब 35 फीसदी गैस की खपत उर्वरक क्षेत्र में ही हो रही है। जब इसका मुख्य इनपुट (प्राकृतिक गैस) ही महंगा हो जाएगा, तो रासायनिक उर्वरकों का दाम भी बढ़ेगा।
उर्वरक के बाद बिजली ऐसा क्षेत्र है, जहां प्राकृतिक गैस की सबसे ज्यादा खपत है। इस समय देश में करीब 24 गीगावाट क्षमता के बिजली घर गैस से चल सकते हैं, लेकिन इनमें से 14 गीगावाट क्षमता के बिजली घर गैस के बिना बंद हैं।
शेष 10 गीगावाट क्षमता के बिजली घर भी अपनी पूर्ण क्षमता में नहीं चलते। तब भी इस क्षेत्र में देश के कुल गैस खपत का करीब 25 फीसदी हिस्सा खर्च होता है। जब गैस महंगा होगा, तो बिजली महंगी होगी और बिजली महंगी होने का असर जीवन के हर क्षेत्र में दिखेगा।
देखना है कि अब सरकार बिजली, गैस और रासायनिक उर्वरको के दाम बढ़ने से रोकने के लिए क्या कदम उठाती है। इस समय देश में पेट्रोल और डीजलों की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गयी चुकी हैं। पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिए सरकार अंतराष्ट्रीय मार्किट में तेल की कीमतों में आये उछाल को ज़िम्मेदार बता रही है।
सरकार की एक मुश्किल यह भी है कि यदि वह सब्सिडी बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश करती है तो उसका राजकोषीय घाटा भी बढ़ना तय है। ऐसे में कीमतों को बढ़ने से रोकना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।