पूर्व प्रोफेसर का दावा: पीएम मोदी की एमए डिग्री में बताया गया पेपर उस दौर में नहीं था

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एमए की डिग्री को लेकर अब एक पूर्व प्रोफेसर ने नया खुलासा किया है। गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जयंती पटेल ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि नरेंद्र मोदी की डिग्री में जिस पेपर का उल्लेख किया गया है, उस समय एमए के दूसरे साल में ऐसा कोई पेपर था ही नहीं ।

हिंदी वेबसाइट द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर जयंती पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में एक फेसबुक पोस्ट लिखकर परोक्ष रूप से उनकी डिग्री पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

उन्होंने लिखा था कि गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति ने जिन विषयों का नाम लिया था, वे उस समय एमए पार्ट-2 में नहीं थे। हालांकि पटेल ने बाद में इस कथित फेसबुक पोस्ट को डिलीट कर दिया। वहीँ गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ महेश पटेल ने जयंती पटेल के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि 30 साल पहले ये पेपर उस कोर्स का हिस्सा थे।

रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा प्रधानमंत्री के एमए के विषयों के नाम बताए गए थे. इसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए जयंती पटेल ने यह पोस्ट लिखा था।

रिपोर्ट में आउटलुक की एक खबर के हवाले से कहा गया है कि जयंती पटेल ने लिखा था, ‘इन पेपरों के नाम में कुछ सही नहीं है। जहां तक मेरी जानकारी है उस समय एमए के दूसरे साल में इन नामों का कोई पेपर नहीं हुआ करता था। मैं वहीं राजनीति विज्ञान विभाग में था. मैंने वहां 1969 से जून 1993 तक पढ़ाया है।’

इस पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा कि उनकी क्लास में मोदी की अटेंडेंस कम थी, जिसकी वजह से उन्होंने उन्हें (मोदी को) अपनी क्लास में आने की इजाज़त नहीं दी थी पर शायद सभी ने ऐसा नहीं किया था, पर मोदी को सलाह दी गई थी कि वे ग़ैर-संस्थागत छात्र के रूप में पढ़ सकते हैं।

गौरतलब है कि गुजरात विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति एमएन पटेल ने कहा था कि मोदी ने राजनीति विज्ञान में ग़ैर-संस्थागत छात्र के बतौर एमए में 63.3 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और पहले वर्ष में उन्होंने 800 में से कुल 499 अंक हासिल किए थे. जबकि दूसरे वर्ष में 400 में से 262 अंक उन्हें मिले थे।’

हालाँकि पूर्व प्रोफेसर ने अपने फेसबुक टाइम लाइन से अपना पोस्ट हटा दिया है।  लेकिन पोस्ट डिलीट करने के बाद दो नए सवाल पैदा हो गए हैं।  क्या पूर्व प्रोफेसर ने जो खुलासा किया वह झूठा था अथवा उन पर अपना पोस्ट डिलीट करने के लिए किसी ने दबाव बनाया था और उन्हें किसी दबाव के चलते अपना पोस्ट डिलीट करना पड़ा।

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TeamDigital