पुलिस नहीं मीडिया साबित कर रहा था कि गिरफ्तार युवक आतंकी हैं
ब्यूरो ( राजा ज़ैद खान) । पिछले दिनों दिल्ली और देवबंद से आतंकी होने के शक पर स्पेशल ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किये गए 13 लोगों को रिहा किये जाने के बाद पुलिस को मिलने वाले इनपुट और उसकी जांच के तरीके पर बड़े सवालिया निशान लग रहे हैं । सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि रिहा हुए लोग निर्दोष थे तो गिरफ्तार क्यों किया गया और यदि दोषी थे तो किस आधार पर रिहा किया गया ।
मीडिया की मुस्लिम विरोधी भूमिका :
गिरफ्तारी के दो दिनों के पश्चात रिहा हुए युवाओं को किस आधार पर गिरफ्तार किया गया और मीडिया ने किस आधार पर उन्हें आतंकी संगठन जेश ऐ मोहम्म्द का सदस्य बताते हुए प्रसारित किया । गिरफ्तार किये गए युवाओं के विषय में बिना छानबीन और जानकारी जुटाए मीडिया ने 48 घंटे तक जो घिनौना नांच किया वह सबसे शर्मनाक है ।
कुछ मीडिया चैनलो ने तो गिरफ्तार युवको से कई मनगढ़ंत कहानियां जोड़ दीं यहाँ तक कि कुछ मीडिया चैनलों ने यह भी कहा कि गिरफ्तार युवक आतंकी संगठन जेश ऐ मोहम्मद से जुड़े हैं तथा वे दिल्ली के भीड़ वाले इलाको को निशाना बनाने की फ़िराक में थे । इतना ही नहीं मीडिया ने यह भी अपने मन से जोड़ दिया कि इन युवको ने दिल्ली के कई इलाको की रात में रेकी भी की थी ।
बड़े अफ़सोस की बात है कि खुद को ज़िम्मेदार कहने वाले देश का मीडिया मनगढंत कहानियां बनाकर पेश करता है । यह मीडिया का वही तबका है जो अंडर वर्ल्ड डॉन छोटा राजन को देश भक्त साबित करने की कोशिश कर रहा था ।
इनपुट मिलने में गलती :
हालाँकि यह पहला अवसर नहीं है जब पुलिस ने आतंक के नाम पर कुछ युवाओं को आधी रात उनके घर से उठाया हो लेकिन यह भी एक बड़ी सच्चाई है कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आतंकी के संदेह में गिरफ्तार किसी को इतने कम समय के अंदर रिहा नहीं किया ।
जानकार लोगों का मानना है कि सुरक्षा एजेंसियों को मिलने वाले इनपुट में कहीं चूक हुई होगी जिसके चलते 13 युवाओं को जेश ऐ मोहम्म्द से जुड़े होने के संदेह गिरफ्तार किया गया लेकिन शायद पुलिस ने जल्दी ही अपनी गलती को सुधारते हुए पूछताछ के बाद उन्हें रिहा कर दिया ।
मुसलमानो के लिए एक और सबक :
फिलहाल जो कुछ हुआ वह देश के मुसलमानो को एक और सबक है कि उन्हें हर हाल में सचेत रहना होगा । न जाने कब उन्हें रात के अँधेरे में सिर्फ सदेह के आधार पर आतंकी बनाकर पेश कर दिया जाए । कम पढ़ा लिखा होना मुसलमानो के लिए एक बड़ा कलंक साबित हो रहा है । निर्दोष होने के बावजूद बिना जांच किये सिर्फ संदेह के आधार पर न जाने कितने लोगों की ज़िंदगी तबाह हो चुकी है । चुनाव के समय मुसलमानो को भाई बंधू कह कर सम्बोधित करने वाले नेताओं में से मज़बूरी और परेशानी से समय कोई मुस्लिम नेता भी मदद को नहीं आता ।
(लेखक लोकभारत के मुख्य सपादक हैं )