पीएम मोदी ने जिस सी प्लेन को सरकार की उपलब्धि बताया वह दूसरे देश से मंगवाया गया था
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अम्बाजी मंदिर में दर्शन करने के लिए सीप्लेन (seaplane) से अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट से धरोई डैम के पास पहुंचे थे। इस सीप्लेन को लेकर तरह तरह की अफवाहें हैं।
बीजेपी के सोशल मीडिया द्वारा पीएम मोदी द्वारा सीप्लेन के इस्तेमाल को अभूतपूर्व कहकर प्रसारित किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि भारत में सीप्लेन का इस्तेमाल सर्व प्रथम पीएम मोदी ने किया है। हालाँकि यह सच नहीं है। सच्चाई यह है कि ये भारत में पहला सीप्लेन नहीं है। ‘जल हंस’ नाम का यह सीप्लेन 2010 में तत्कालीन सिविल एविएशन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने लॉन्च किया था।
वहीँ अंडमान में 2011 से ही सीप्लेन की सुविधा है। पीएम मोदी ने जिस सीप्लेन प्लेन का इस्तेमाल किया यह अमेरिका में रिजिस्टर्ड क्वेस्ट कोडियेक था। विदेश में रजिस्टर्ड विमान भारत में भी उड़ान भर सकता है। इस एयरक्राफ्ट ने 3 दिसंबर को पाकिस्तान के कराची से उड़ान भरी थी तथा इसी दिन यह विमान मुंबई पहुँच गया था। ये सीप्लेन मुंबई से अहमदाबाद आया था। इस विमान के पायलट तथा क्रू मेंबर भी अमेरिका के थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन साबरमती नदी से सीप्लेन में सवार होकर मेहसाना जिले के धरोई बांध के लिए उड़ान भरी थी ।
जानकारों की माने तो सभाओं में भीड़ न जुटने से परेशान भारतीय जनता पार्टी ने भीड़ जुटाने के लिए सीप्लेन का इस्तेमाल किया था और वह इसमें कुछ हद तक सफल रही। विमान ने सरदार ब्रिज के छोर से उड़ान भरी। भाजपा कार्यकर्ता मोदी-मोदी के नारे लगा रहे थे। अपनी तरह के पहले आयोजन को देखने के लिए साबरमती पर भीड़ उमड़ पड़ी थी।
सीप्लेन को लेकर पीएम मोदी ने इसे चुनावी सभा में सरकार की उपलब्धि के तौर पर पेश किया था। मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा था कि देश के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है कि एक सीप्लेन साबरमती नदी में उतरेगा। उन्होंने कल कहा था, मैं सीप्लेन से अंबाजी जाऊंगा और वापस आऊंगा। उन्होंने कहा था कि हर जगह तो हवाईअड्डे नहीं हो सकते इसलिए हमारी सरकार ने सीप्लेन रखने का फैसला किया।