पीएम मोदी ने कहा ‘रात में गोरखधंधा करने वाले दिन में गो-रक्षा का चोला पहनकर निकलते हैं’
नई दिल्ली। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित ‘टॉउनहाल’ बैठक में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच गए हैं। वे माईगोव डॉट इन(Mygov.in) के दो साल पूरे होने पर जनता से संवाद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने पीएमओ एेप का उद्धाटन किया। ऐप से 10 भाषाओं में पीएमओ की जानकारी है। इससे पहले पीएम ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सुझाव देने वालों को सम्मानित किया।
लोगों के सवालों का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तकनीक से जनभागीदारी बढ़ी है। चुनाव जीतने के बाद सरकार अगले चुनाव के बारे में सोचती है और ज्यादा वोट के बारे में सोचती है। अगर हम गुड गवर्नेंस पर फोकस नहीं करेंगे तो आम आदमी का जीवन नहीं बदलेगा। विकास और गुड गवर्नेंस से ही जीवन में बदलाव अाएगा। उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेंस में जिसकी जो जिम्मेदारी है, उससे उस जिम्मेदारी का हिसाब मांगना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में बदलाव लाने के लिए नीति-निर्णयों का आखिरी लाभार्थी तक पहुंचना पड़ेगा। सरकार का हस्तक्षेप जितना कम हो उतना अच्छा होगा। तकनीकी और गुड गवर्नेंस से किसानों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकारों को अपने आप को बदलना होगा। तय समय में जनता की समस्या का निपटारा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रिवेंटिव हेल्थ केयर पर ध्यान देना होगा। भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है।अगर हम 30 साल तक 8 फीसदी की दर से विकास करते रहे तो हम दुनिया में शीर्ष पर होंगे। अगर सरकार का खजाना भरा होगा तो विकास कार्य ज्यादा होंगे।
उन्होंने कहा कि गो रक्षा के नाम पर दुकान खोलने वालों पर मुझे गुस्सा आता है। रात में गोरखधंधा करने वाले दिन में गो-रक्षा का चोला पहनकर निकलते हैं। पीएम मोदी ने राज्य सरकारों से कहा कि कथित गोरक्षकों के खिलाफ डोजियर निकालें।
नए आइडिया देने वालों को प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया। 2 हजार लोग इस कार्यक्रम में बुलाए गए हैं। पीएम मोदी ने एेस बनाने वाले छह छात्रों को भी सम्मानित किया।
पीएम मोदी ने जनता के सवालों के क्या जवाब दिए…
- mygov के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए धन्यवाद.
- गौरक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोल बैठे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता है
- कुछ लोग जो असमाजिक कामों में लिप्त रहते हैं, वे गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं, राज्य सरकारें ऐसे लोगों का डॉजियर तैयार करें
अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, पॉलीथिन खाने से मरती हैं ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद करा दें, गाय की रक्षा होगी - लोकतंत्र का सरल अर्थ केवल एक बार वोट देना नहीं. लोकतंत्र का अर्थ 5 साल का ठेका हो गया है. एक बार वोट देना और 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट देना लोकतंत्र नहीं. – लोकतंत्र इस तरह पनप नहीं सकता.
- जनता की भागीदारी तकनीक की वजह से संभव.
- राजनीति में चुनाव जीतने के बाद सराकर का ध्यान अगले चुनाव की ओर लग जाता है और उसकी योजनाएं उसी के आधार पर बनती हैं कि अपना जनाधार कैसे बढ़ाया जाए. इस उद्देश्य से कारवां बीच में रुक जाता है.
- नीतियों, फैसलों के अलावा लास्ट माइल डिलिवरी का भी उतना ही महत्व है. जो योजना बनाई, अगर उसका फायदा जनता तक ना पहुंचे तो इसे बदलाव नहीं कह सकते. पैसा खर्च कर अस्पताल बना, लेकिन अगर मरीज को फायदा ना मिले तो उसका होना बेकार है.
विकास और गुड गवर्नेंस का संतुलन जरूरी. - राय बनाने वाले पंचायत केमामले में भी पीएम को जवाबदेह बना देते हैं, राजनैतिक तौर पर तो यह ठीक है। लेकिन इससे पंचायत अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करती.
- जो करे उससे जवाब मांगें, नीचे या ऊपर वाले से नहीं, जिसकी जिम्मेदारी हो उसकी जवाबदेही हो. कभी कभी समस्या की जड़ में सरकार होती है. सरकार से बार बार हिसाब मांगना पड़े, ये ठीक नहीं है.
- आम लोगों को आसानी से जानकारी हासिल हो, यही हमारा लक्ष्य है.
- हमने कई पक्रियाओं को आसान और छोटा किया, हमने किसानों के लिए ई-मंडी शुरू कि ताकि वो खुद तय करे कि उसे अपनी फसल कहां बेचनी है.
- समस्याओं के सामाधान की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए, तय समय में जनता की शिकायत का निबटारा होना चाहिए
- गुड गवर्नेंस के लिए हम कुछ शुरुआती कदम उठा रहे हैं.
- भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, भारत ने दो भीषण अकाल झेले हैं. पूरी दुनिया में खरीदने की क्षमता गिरी है. ऐसी स्थिति में 7.5 फीसदी की विकास दर हासिल करना सराहनीय.
- अगर देश के खजाने में ज्यादा पैसा हो तो ज्यादा विकास हो सकता है, अगर ज्यादा विकास होगा तो रोजगार के अवसर भी ज्यादा होंगे. प्राकृतिक संपदा का जितना उपयोग हम करेंगे, उतना ही अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा.
- हमें फोकस कर युवाओं के हुनर को इस्तेमाल करना है.
- 8 फीसदी से ज्यादा विकास दर अगर पाई तो दुनिया आपके कदमों में होगी.भारत में बनी मेट्रो ऑस्ट्रेलिया को निर्यात होती है. हम खरबों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करते हैं, खरबों का डिफेंस का सामान हमें आयात करना पड़ता है. हमारा आर्थिक विकास तेज लेकिन स्थिर हो.
- बचपन से सुनते आए हैं, हेल्थ इज वेल्थ, डिनर टेबल पर सब डाइटिंग की बात करते हैं. एक जमाना था जब गांव में एक वैद्य था और सब ठीक रहते थे. हम प्रिवेंटिव हेल्थ के प्रति उदासीन हैं, इस पर बल देना होगा.
- पीने का शुद्ध पानी मिले तो आधी बीमारियां ठीक हो जाएंगी, मेरा स्वच्छता मिशन इसी ओर एक कदम है. अफोर्डेबल हेल्थकेयर भी बहुत जरूरी है.
- टीकाकरण के लिए खरबों के विज्ञापन दिए जाते हैं, फिर भी लाखों का टीकाकरण नहीं होता. सरकारी सुविधा होने के बावजूद बच्चों ने लाभ नहीं लिया.
- परंपरागत खेती को तरीकों को तुरंत छोड़ना होगा. ऐसा न सोचें कि हमारा कृषि क्षेत्र गया-बीता है. कृषि जगत के लोगों को अधुनिक कृषि से जोड़ना होगा.
- हमारी कोशिश है कि किसान को उसकी जमीन का हेल्थ कार्ड मिले, सस्ते में बीज लेने के लोभ में फंस जाता है किसान, अनाप-शनाप कीटनाशकों का प्रयोग खतरनाक.