पार्टी के लिए आगे का रास्ता क्या है? इस सवाल पर सोनिया ने किया सड़क, पेड़ और बारिश की ओर इशारा
नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का सोमवार को पत्रकारों से रूबरू होने पर ‘राजनीति’ पर बात करने से इनकार कर दिया। सोमवार को सोनिया डॉ. के.पी. माथुर की किताब ‘The Unseen Indira Gandhi – Through her physician’s eyes’ के विमोचन कार्यक्रम में पहुंची थीं।
सोनिया करीब एक घंटा वहां रुकीं। उन्होंने अपनी सास इंदिरा गांधी पर बात की। किताब के लेखक और उनके परिवार के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। पास आने वाले लोगों से बातचीत की। रिपोर्टर्स के सवालों का दार्शनिक अंदाज में जवाब दिया। लेकिन राजनीतिक सवालों पर बचती गईं। जब उनसे पूछा गया कि अब पार्टी के लिए आगे का रास्ता क्या है तो उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के हॉल में लगे शीशे के बाहर सड़क और पेड़ों की ओर इशारा कर दिया।
इशारा करते हुए बोलीं, ‘अभी मैं यह नजारा देख रही हूं…खूबसूरत बारिश…पेड़…अमलतास, मैं राजनीति की बात नहीं कर रही।’ चार राज्यों और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के 19 मई को आए नतीजों के बाद कांग्रेस इतिहास के सबसे बुरे दौर में से एक का सामना कर रही है। पार्टी आधा दर्जन राज्यों में सिमट कर रह गई है। छह फीसदी आबादी पर ही कांग्रेस का शासन है। उन्हें पार्टी के कई नेता कांग्रेस की ‘सर्जरी’ की सलाह दे रहे हैं।
तो क्या इन राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में वह नहीं सोचती हैं? सोनिया ने जवाब दिया, ‘हमेशा सोचती हूं।’ पर उन्होंने इस मसले पर इससे ज्यादा कोई बात नहीं की। अलबत्ता सास इंदिरा गांधी के बारे में उन्होंने बड़े उत्साह से बात की। उन्होंने बताया कि इंदिरा जी के साथ यादगार लम्हे कैमरे में कैद नहीं कर पाने का उन्हें अफसोस है। उन्होंने यह जिक्र भी किया कि हाल ही में वह इंदिरा गांधी का एक इंटरव्यू देख कर काफी जज्बाती हो गई थीं। चार घंटे का यह इंटरव्यू 13 सितंबर, 1984 को चार लोगों को दिया गया था। हत्यारों की गोलियों का शिकार होने से करीब डेढ़ महीने पहले।
सोनिया उस समय ठठा कर हंस पड़ीं जब कार्यक्रम में करन सिंह ने कहा कि शादी के दिन वह ठेठ कश्मीरी पंडित की बहू लग रही थीं। लेखक माथुर ने कहा कि कई लोगों को लगता है कि इंदिरा अड़ियल थीं, लेकिन वास्तव में वह बहुत ही खुशमिजाज, मिलनसार और औपचारिकताओं में विश्वास नहीं रखने वाली महिला थीं। वह हर किसी की बात सुनती थीं और सबका ख्याल रखती थीं।
माथुर की किताब में मां और सबकी चिंता करने वाली महिला के रूप में इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व की परतें खोली गई हैं। 92 साल के माथुर ने इंदिरा के साथ करीब 20 साल लंबे अपने रिश्ते के अनुभवों के आधार पर यह किताब लिखी है।