पाक की जीत पर मुसलमानो ने नहीं चलाये थे पटाखे, पुलिस ने यूँ बना दिया रस्सी का सांप

भोपाल। चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल मैच में भारत की पराजय के बाद पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करने, मिठाई बांटने और पटाखे चलाने के आरोप में 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने वाली मध्य प्रदेश पुलिस खुद के बनाये रस्सी के सांप में फंसती नज़र आ रही है।
इस मामले में पुलिस ने जिस व्यक्ति को शिकायतकर्ता बताया था उस व्यक्ति ने ऐसी कोई शिकायत करने से इंकार कर दिया है। पुलिस ने दावा किया था कि सुभाष कोली नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि 18 जून को चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल मैच में पाकिस्तान के हाथो भारत की हार के बाद मोहड़ गाँव,जिला बुरहानपुर के एक दर्जन से अधिक लोगों ने पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाया, मिठाइयां बांटी, पटाखे चलाये और पाक के समर्थन में नारेबाजी की।
पेशे से डिश एंटीना की रिपेयरिंग का काम करने वाले सुभाष कोली ने कोर्ट में कहा कि उसने ऐसी कोई शिकायत पुलिस को नहीं दी और न ही उसे ऐसी कोई जानकारी है। सुभाष ने कोर्ट को दिए अपने बयान में खुलासा किया कि हो सकता है कि किसी ने पटाखे चलाये हों लेकिन जो नारे मैंने सुने वो भारत माता की जय और वंदे मातरम के थे।
सुभाष ने न्यूज़ चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि न तो किसी मुस्लिम ने मिठाई बांटी और न ही किसी ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। सुभाष कोली ने यहाँ तक कहा कि कोर्ट में भी पुलिस ने उसे धमकाने की कोशिश की थी जिससे वह पुलिस के खिलाफ बयान न दे।
सुभाष ने कहा कि 18 जून को जब पुलिस ने कई लोगों को उठा लिया तो वह देर रात पुलिस स्टेशन अवश्य गया था और उसने अपने गाँव से गिरफ्तार किये गए एक मुस्लिम युवक को छोड़ने के लिए पुलिस से निवेदन किया था। सुभाष कोली ने कहा कि उसे लगा कि चूँकि वह एक हिन्दू है इसलिए पुलिस उसकी इस बात को अवश्य मानेगी कि उसके पड़ौस में रहने वाले उस मुस्लिम युवक पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जाने और मिठाइयां बांटने के मामले में शामिल नहीं था ।
सुभाष कोली ने कहा कि पुलिस ने जिस युवक अनीस को गिरफ्तार किया था असल में उसे यह भी नहीं मालूम था कि भारत पाकिस्तान के बीच हुए मैच में कौन जीता है, उसका नाम पूछकर ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
सुभाष कोली ने कहा कि पुलिस स्टेशन में जब उसने अपना नाम सुभाष बताया तो उसे पुलिस ने थप्पड़ रसीद कर दिया। उसने कोर्ट को बताया कि इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने उसका फोन छीनकर खुद को सुभाष बताते हुए पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर 15 लोगों के खिलाफ शिकायत कर दी। इसमें कहा गया कि उसने 15 लोगों को पटाखे चलाते, पाक के समर्थन में नारे लगाते और मिठाइयां बांटते देखा है।
सुभाष कोली ने कहा कि पुलिस कंट्रोल रूम को शिकायत के वक़्त उसकी फोन की लोकेशन चैक की जानी चाहिए जो कि उसके गाँव की नहीं बल्कि पुलिस स्टेशन की है। उसने कहा कि पुलिस ने 15 मुस्लिम लोगों के नाम से शिकायत लिख कर उससे साइन करवा लिए। सुभाष कोली ने कहा कि पुलिस ने उसे कहा कि वह उसके गाँव के युवक को छोड़ने के प्रार्थना पत्र पर हस्ताक्षर करा रही है।
फिलहाल गिरफ्तार किये गए 15 लोगों को कोर्ट ने ज़मानत पर रिहा कर दिया है। प्रत्येक आरोपी को 50000 के निजी मुचलके पर छोड़ा गया। इससे पहले सबूतों के अभाव में पुलिस ने देशद्रोह का मामला हटा लिया था।
वहीँ इस मामले में पुलिस की भूमिका बेहद संदिग्ध नज़र आ रही है। 15 लोगों की गिरफ्तारी में जिस व्यक्ति को चश्मदीद गवाह बताया गया था उस गवाह (सुभाष कोली) ने पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को फ़र्ज़ी करार दिया है।