नीतीश के इस्तीफे के बाद राज्यपाल के समक्ष हैं ये विकल्प

नीतीश के इस्तीफे के बाद राज्यपाल के समक्ष हैं ये विकल्प

नई दिल्ली। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद नई सरकार के गठन के लिए किसी भी दल को 122 विधायकों का जादुई आंकड़ा जुटाना होगा। इस समय 243 विधायकों की इस विधानसभा में जदयू के पास 71, राष्ट्रीय जनता दल के पास 80 और कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं। इसके अलावा बीजेपी के 53, लोकजनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के पास दो दो विधायक हैं।

बहुमत की दृष्टि से देखा जाए तो जदयू बिना बीजेपी की मदद के राज्य में सरकार नहीं बना सकता वहीँ राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के विधायकों को मिलाकर यह संख्या 107 तक हो रही है और बहुमत में करीब 15 विधायकों की कमी रहेगी।

ऐसे में यदि सबसे बड़ी पार्टी के लिहाज से राज्यपाल राष्ट्रीय जनता दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं तो वे राष्ट्रीय जनता दल से समर्थन करने वाले विधायकों की लिस्ट भी मांगेंगे। जबकि हकीकत यह है राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के विधायकों की तादाद सरकार के लिए आवश्यक बहुमत से कम है जो बिना तोड़फोड़ के पूरी होना मुमकिन नहीं हैं।

वहीँ यदि नीतीश कुमार बीजेपी से हाथ मिलाते हैं जदयू और बीजेपी विधायकों की संख्या (71+53) 124 हो रही है जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है वहीँ एनडीए में शामिल दो दलो लोकजनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के पास भी दो दो विधायक हैं। जिनके समर्थन से सरकार के पक्ष में विधायकों की कुल संख्या 128 हो जाती है।

राज्यपाल के पास तीसरा विकल्प यह भी है कि वे विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करें और अगले 6 महीनो के अंदर बिहार में विधानसभा के नए चुनाव कराने का निर्णय लें।

फिलहाल नीतीश कुमार ने खुलकर कुछ नहीं कहा लेकिन बीजेपी के साथ जाने के संकेत ज़रूर दिए हैं। यह भी सम्भव है कि नीतीश के स्थान पर बीजेपी का मुख्यमंत्री बने और जदयू बीजेपी गठबंधन के तौर पर बिहार की सत्ता चलाएं।

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TeamDigital