दूसरी तिमाही में जीडीपी 8.2 फीसदी से गिरकर हुई 7.1 फीसदी
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हो गई। जबकि जून तिमाही में भारत की विकास दर 8.2 फीसदी रही थी। इस हिसाब से इसमें 1.1 फीसदी की कमी देखने को मिली है। वहीं, दूसरी तिमाही में जीवीए की दर भी घटकर 6.9 फीसदी हो गई। पिछली तिमाही में जीवीए की दर 8 फीसदी थी।
माना जा रहा है कि जीडीपी में यह कमी दो मुख्य कारणों से आई है। पहला डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार कमजोर होना और दूसरा आईएलएंडएफएस में नकदी संकट, जिसकी वजह से निवेश पर असर देखने को मिला।
अक्टूबर में कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और उर्वरक के उत्पादन में कमी से आठ बुनियादी क्षेत्र के उद्योगों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही। प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, कोयला, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर एक साल पहले अक्टूबर में 5 प्रतिशत रही थी, जबकि 2018 सितंबर में 4.3 फीसदी।
वहीं वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े के मुताबिक अक्टूबर महीने में कच्चा तेल में 5 प्रतिशत, उर्वरक उत्पादन में 11.5 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 0.9 प्रतिशत की कमी आई। दूसरी तरफ सीमेंट बिजली और कोयला उत्पादन में वृद्धि हुई।
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में विकास दर 7.5 से 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। रॉयटर्स पोल में भी विशेषज्ञों ने पहली तिमाही के मुकाबले गिरावट का अनुमान लगाया गया था।
बुधवार को केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) की ओर से जीडीपी बैक सीरीज डाटा जारी किए जाने के बाद यूपीए कार्यकाल के सभी ग्रोथ रेट आंकड़े घट गए हैं। इसी के साथ ही इस पर बहस भी शुरू हो गई है।
विपक्ष का कहना है कि चुनावों से ठीक पहले इन आंकड़ों को जारी किया जाना मोदी सरकार की एक सोची-समझी रणनीति है। जबकि सरकार का कहना है कि CSO का कामकाज वित्त मंत्रालय के अधीन नहीं है, उसकी अपनी साख है।
कांग्रेस ने पीएम को दी ये चुनौती:
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नए आंकड़ों पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। नए आंकड़ों में मोदी सरकार ने UPA कार्यकाल में हुए जीडीपी ग्रोथ रेट को कम दिखाया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अर्थशास्त्र का बहुत ज्ञान नहीं है, लेकिन वो चाहे तो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ बहस कर सकते हैं।
वहीँ इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नए आंकड़ों को लेकर नीति आयोग पर निशाना साधा था। चिदंबरम ने आंकड़े जारी करने वाले नीति आयोग पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस बेकार संस्था को बंद कर दिया जाना चाहिए।