दिल्ली में किसान-मजदूरों का हल्ला बोल ‘नीति बदलो, नहीं तो हम सरकार बदल देंगे’

नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर बुधवार को देशभर से आये किसान और मजदूर सगंठनो के कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। बुधवार सुबह किसानों का ये मार्च रामलीला मैदान से शुरू होकर संसद की तरफ पहुंचा। इस प्रदर्शन में देश भर से आए किसान एकत्रित हुए हैं।
रैली में किसान संगठन ने कहा है कि सरकार या तो किसानों के प्रति अपनी नीति बदले वरना हम सरकार बदल देंगे। किसानों का कहना है कि 28, 29, 30 नवंबर को देश के 201 किसान संगठन हर राज्य से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
किसान और मजदूरों की इस महारैली से पहले सीटू और अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से अपनी मांगों का चार्टर सामने रखा गया है। जिसमें बीजेपी शासित केंद्र सरकार पर सांप्रदायिक और किसान-मजदूर विरोधी होने का आरोप लगाते हुए आम लोगों को मुहिम के साथ जुड़ने की अपील की गई है।
ये है प्रमुख मांगे
किसान और मजदूरों की मांग है कि रोज बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाई जाए, खाद्य वितरण प्रणाली की व्यवस्था को ठीक किया जाए, मौजूदा पीढ़ी को उचित रोजगार मिले, सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी भत्ता 18000 रुपया प्रतिमाह तय किया जाए।
-मजदूरों के लिए बने कानून में मजदूर विरोधी बदलाव ना किए जाएं, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों, गरीब खेती मजदूर और किसानों का कर्ज माफ हो।
-किसानों की मांग है कि खेती में लगे मजदूरों के लिए एक बेहतर कानून बने। हर ग्रामीण इलाके में मनरेगा ठीक तरीके से लागू हो, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और घर की सुविधा मिले।
-मजदूरों को ठेकेदारी प्रथा से राहत मिले। जमीन अधिग्रहण के नाम पर किसानों से जबरन उनकी जमीन न छीनी जाए और प्राकृतिक आपदा से पीड़ित गरीबों को उचित राहत मिले।
ये संगठन है शामिल
प्रदर्शन की अगुवाई ऑल इंडिया किसान महासभा के द्वारा किया जा रहा है। वामपंथी संगठन अखिल भारतीय किसान महासभा और सीटू के नेतृत्व में किसान और मजदूर दिल्ली के रामलीला मैदान पर मजदूर किसान संघर्ष रैली में जुटे हैं। किसानों के मार्च की वजह से दिल्ली की कई सड़कों पर जाम की स्थिति है, इसके अलावा कुछ रास्तों पर ना जाने की नसीहत दी जा रही है।