तीन तलाक : पढ़िए, क्या है सरकार के बिल का मसौदा

तीन तलाक : पढ़िए, क्या है सरकार के बिल का मसौदा

नई दिल्ली। तीन तलाक पर सजा के प्रावधान वाले बिल को संसद में पेश किये जाने के बाद इस पर बहस जारी है। कांग्रेस ने पहले ही अपना रुख साफ़ कर दिया है। कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि वह इस बिल का समर्थन करती है लेकिन इस पर अपने सुझाव सरकार के समक्ष रखेगी।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस बिल में कुछ कमियां हैं, आपने इस बिल में किसी समूह की सलाह नहीं ली है। कभी-कभी हम सोचते हैं कि हम ही सही हैं, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता. बिल में जो कमियां हैं, वो साथ में बैठकर दूर की जा सकती हैं।

उन्होंने कहा कि इसे हम स्टैंडिंग कमेटी में भेज सकते हैं, जहां सभी पार्टियां मिलकर इस पर बहस कर सकते हैं. इस मुद्दे पर जो सरकार का मत है, वैसा ही मत विपक्ष का भी है। उन्होंने कहा कि हम भी इसे टालना नहीं चाहते हैं, लेकिन आम सहमित जरूरी है। इसलिए इसे स्टैंडिंग कमेटी में इस बिल को भेज दिया जाए।

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि सभी तीन तलाक के खिलाफ बिल का समर्थन करते हैं, लेकिन सभी पारिवारिक विवादों को अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है।

बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि जो मुल्ला-मौलवी तीन तलाक में हस्तक्षेप करते हैं, उनके खिलाफ भी कानून होना चाहिए। वो समाज को गुमराह करते हैं, उनके खिलाफ भी संसद को कानून बनाना चाहिए।

कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि दो गुटों में दुश्मनी बढ़ाना, दंगा करवाना, इन मामलों में तीन साल की जेल होती है लेकिन तलाक देने पर भी तीन साल की जेल हो रही है क्या ये सही है। बिल में इस बात पर कोई प्रावधान नहीं है कि महिला को किस तरह पैसा दिया जाएगा, कितना हिस्सा दिया जाएगा और उसका प्रोसेस क्या होगा। सुष्मिता देव ने सवाल किया कि सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करती है, तो क्या सरकार महिला आरक्षण बिल पास करवाना चाहेगी ?

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि ये बिल संविधान के मुताबिक नहीं है। ओवैसी ने कहा कि तलाक ए बिद्दत गैरकानूनी है, घरेलू हिंसा को लेकर भी कानून पहले से मौजूद है फिर इसी तरह के एक और कानून की जरूरत क्या है?

कैसा है तीन तलाक पर सरकार के बिल का मसौदा:

– तीन तलाक पर सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल में तीन तलाक का इस्तेमाल करने वाले शौहर को जेल भेजे जाने का प्रावधान है, गैरजमानती अपराध की श्रेणी में रखे जाने से इसमें जल्दी ज़मानत नहीं मिलेगी।

– एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा।

– ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा।

– यह कानून सिर्फ ‘तलाक ए बिद्दत’ यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा।

– तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी।

– पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।

– यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।

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TeamDigital