तीन तलाक पर हाईकोर्ट की टिप्पणी से जमीयत उलेमा असहमत

नई दिल्ली । जमीयत उलेमा ए हिन्द ने तीन तलाक पर इलाहबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी से असहमति जाहिर की है । शनिवार को जमीयत ने कहा कि तीन तलाक का उल्लेख कुरान में ही है और शरीयत की सही तस्वीर प्रस्तुत किए जाने पर जोर दिया।

जमीयत के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा, ‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा हाल ही में की गई इस टिप्पणी से यह बात समझ में आती है कि आदरणीय न्यायमूर्ति के मन में यह बात है कि इस्लामी शरीयत के अनुसार शरीयत के समस्त आदेशों का आधार केवल कुरान ही है और कुरान में तीन तलाक का आदेश नहीं है। इसलिए इस संबंध में शरीयत की सही तस्वीर प्रस्तुत करना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि एक बार में एक साथ तीन तलाक का कुरान में उल्लेख नहीं है और पैंगबर मौहम्मद ने भी इसको नापसन्द किया है लेकिन एक बार में तीन तलाक को तीन ही माना है।’ उन्होंने कहा, ‘बाद में आने वाले चारों खलीफा और उलमा ने भी इसे उसी आधार पर सही माना है। ऐसे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की यह टिप्पणी कि एक साथ तीन तलाक कुरान से शायद साबित नहीं है और यह असंवैधानिक है, निश्चित रूप से सही नहीं है।’

उन्होंने कहा कि तीन तलाक का उल्लेख कुरान में ही है और अल्लाह ने कुरान के दूसरे अध्याय में कहा है कि अगर कोई तीसरी बार तलाक कह दे तो शादी खत्म हो जाएगी। मौलाना मदनी ने कहा कि (मुसलमानों के चारों संप्रदायों के) चारों इमाम इस पर सहमत हैं कि अगर एक बार में तीन तलाक दे दी तो नापसंदीदगी के बाद भी तीन होंगी।

उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय देश के संविधान के अनुसार होगा अर्थात देश के संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपने पर्सनल लॉ पर चलने का जो अधिकार दिया है उसे रौंदने नहीं दिया जाएगा।’

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TeamDigital