तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट अच्छा था, फिर अयोध्या मामले में कोर्ट की आलोचना क्यों?

नई दिल्ली(राजाज़ैद)। जब तीन तलाक को लेकर सुप्रीमकोर्ट में मामला चल रहा था तो उस समय बीजेपी नेता सुप्रीमकोर्ट की वाह वाही कर रहे थे लेकिन अयोध्या मामले की सुनवाई महज तीन महीने टलने पर बीजेपी नेता सुप्रीमकोर्ट को नसीहत करते दिखाई दिए ।
अयोध्या की विवादित भूमि को लेकर 29 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई शुरू होनी थी लेकिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस एस के कौल और के एम जोसेफ वाली बेंच ने कहा, “जनवरी में उपयुक्त बेंच के समक्ष अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई की तारीख तय होगी।
सुप्रीमकोर्ट द्वारा सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने के बाद बीजेपी नेताओं के अलग अलग बयान सामने आये लेकिन सभी बयानों में किसी न किसी रूप में सुप्रीमकोर्ट की आलोचना की गयी।
विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट के फैसले का इंतज़ार नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण कराये। विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है। ऐसे में हमारे रुख को बल मिलता है कि राम मंदिर के निर्माण के लिए अनंत काल तक इंतजार नहीं किया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि “श्री राम हिन्दुओं की आस्था के केंद्र हैं, अब हिन्दुओं के सब्र का बाँध टूट रहा है। मुझे भय है कि हिन्दुओं के सब्र का बाँध टूट गया तो क्या होगा ? यह कोई नहीं कह सकता। सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देर से मिला न्याय नहीं बल्कि अन्याय के सामान हो जाता है। योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीमकोर्ट का नाम लिए बिना सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाये जाने से असहमति ज़ाहिर की।
वहीँ कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गोलमोल बयान देते हुए कहा है कि बहुत लोग चाहते हैं कि अयोध्या मामले पर तुरंत सुनवाई हो। हम राम मंदिर को चुनाव से जोड़कर नहीं देखते।
बीजेपी नेता विनय कटियार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कांग्रेस के दबाव में लिया फैसला बताते हुए कहा कि ‘बर्दाश्त की भी सीमा होती है, आखिर कब तक हमें राम मंदिर के निर्माण का इंतजार करना होगा।’
यूपी के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य ने भी राम मंदिर पर सुनवाई टलने को लेकर नाराजगी जाहिर की और अयोध्या मामले पर सुनवाई टलने को एक बुरा संदेश बताया। उन्होंने कहा कि सुनवाई की तारीखें अगर तय हो जाती तो अच्छा रहता।
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बीजेपी को इस राम मंदिर मामले में राजनीति न करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में बीजेपी और अन्य दल राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आना चाहिये। अयोध्या में राम मंदिर बने, हम सब इस शुभ घड़ी का इंतजार कर रहे हैं।
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि कट्टरपंथी मौलानाओं और कांग्रेस की वजह से मामला कोर्ट में फंसा है। उन्होंने कहा दुनिया के इंसानों की किस्मत का फैसला जो भगवान करता है, वह भगवान अपने घर के लिए इंसानी अदालत के फैसले का इंतजार कर रहा है। यह इंसानों के लिए शर्म की बात है।
क्या बोले मुसलमान:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सुन्नी धर्मगुरू मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा है कि अब जरूरत मुल्क के इस बड़े मसले के हल होने की है। सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, सभी उस पर अमल करेंगे। किसी के दिल में कोई गिला-शिकवा नहीं रहेगा।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि 70 सालों में अयोध्या का कोई विकास नहीं हुआ, नेता सिर्फ अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। चुनाव के समय ही सभी को अयोध्या याद आता है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आये। कोर्ट का जो भी फैसला होगा, हमें मान्य होगा।
यहीं आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदरबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि “अगर केंद्र सरकार अयोध्या मामले पर अध्यादेश लाती है तो फटकार पड़ेगी। सरकार मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाकर दिखाए।” उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबको मानना पड़ेगा। फैसले का विरोध करना ठीक नहीं है, देश मर्जी से नहीं बल्कि संविधान से चलता है।
बता दें कि इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष सबरी माला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश संबधी सुप्रीमकोर्ट के निर्णय की सार्वजनिक रूप से आलोचना कर चुके हैं। अमित शाह ने सुप्रीमकोर्ट का नाम लिए बिना कहा कि “शाह ने कहा कि अदालतें इस तरह के फ़ैसले ना दें जो व्यवहारिक ना हों।”