तीन तलाक धर्म का हिस्सा है या नहीं: सुप्रीमकोर्ट में हो रही सुनवाई
नई दिल्ली। मुसलमानो में तीन तलाक, निकाह और एक से अधिक शादी के मामले में सुप्रीमकोर्ट में आज सुनवाई हो रही है। यह सुनवाई लगातार 10 दिनों तक चलेगी। इसमें संविधान पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। पीठ यह देखेगी कि क्या यह धर्म का मामला है। अगर यह देखा गया कि यह धर्म का मामला है तो कोर्ट इसमें दखल नहीं देगी। लेकिन अगर यह धर्म का मामला नहीं निकला तो सुनवाई आगे चलती रहेगी।
सुनवाई करने वाली संविधानपीठ में सुनवाई के बाद तय होगा कि क्या तीन तलाक से महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है। सीजेआई ने साफ़ कहा कि यदि तीन तलाक धर्म का मामला है तो कोर्ट इसमें दखल नहीं देगी लेकिन अगर यह धर्म का मामला नहीं निकला तो सुनवाई आगे चलती रहेगी।
तीन तलाक को चुनौती देने वालों को बताना पड़ेगा कि धर्म की स्वतंत्रता के तहत तीन तलाक नहीं आता। वहीं डिफेंड करने वालों को यह बताना पड़ेगा कि यह धर्म का हिस्सा है। सुनवाई कर रही संविधानपीठ में में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में कुल सात याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं, जिनमें पांच पीड़ित महिलाओं की ओर से हैं। इस मामले की शुरुआत कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के बराबरी के हक को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए की थी और बाद में पीड़ित महिलाओं ने भी तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह को चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक विचार के बिंदु तय नहीं किए हैं।
हालांकि शुरुआत में ही कोर्ट ने साफ कर दिया था कि वह संवैधानिक दायरे में कानूनी मुद्दे पर विचार करेगा। किसी की व्यक्तिगत याचिकाओं पर विचार नहीं होगा। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने के छूट देते हुए गर्मी की छुट्टियों में 11 मई से नियमित सुनवाई करने का फैसला लिया था।
केंद्र सरकार ने अपने लिखित जवाब में एक बार में तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के साथ लिंग आधारित भेदभाव बताया है। सरकार का कहना है कि भारतीय संविधान किसी तरह के भेदभाव की इजाजत नहीं देता है।