जस्टिस लोया केस में पहले से फिक्स थी पीआईएल: सिब्बल
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज दावा किया कि जस्टिस लोया केस में दाखिल की गयी जनहित याचिका पहले से फिक्स थी। सिब्बल ने कहा कि लोया केस में आरएसएस के एक व्यक्ति द्वारा जनहित याचिका इसलिए दायर की गयी थी जिससे यह मामला सुप्रीमकोर्ट तक पहुँच सके।
उन्होंने पीआईएल के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा था कि पीआईएल के पीछे राजनीतिक मकसद था। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने ये याचिका दाखिल की उसका नाम सूरज लोलगे था, वह नागपुर से ही है। सिब्बल ने आरोप लगाया कि सूरज बीजेपी और आरएसएस का करीबी है। उसने सिविक चुनाव के लिए बीजेपी से टिकट भी मांगा था।
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के.एम. जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला।
कपिल सिब्बल ने कहा कि हम लगातार कह रहे हैं कि न्यायपालिका खतरे में है। कानून कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम कहता है वही होगा, जबकि सरकार चाहती है कि अगर उनके मन मुताबिक नहीं हुआ तो कोलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज करेगी और उसे मंजूरी नहीं देगी।
उन्होंने कहा कि कहा कि बीजेपी कहती है कि देश बदल रहा है, लेकिन हम कहते हैं कि देश बदल चुका है। आज सरकार न्यायपालिका के साथ जो बर्ताव कर रही है, वह पूरा देश जानता है।
सिब्बल ने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा साफ है कि वह जस्टिस जोसेफ को जज नहीं बनने देंगे। सिब्बल ने कहा कि सरकार कोलेजियम के हिसाब से नहीं चलना चाहती है।