जम्मू-कश्मीर: बीजेपी से दामन छुड़ाना चाहती हैं महबूबा !
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में बीजेपी पीडीपी गठबंधन के बीच मतभेदों की खाई और गहरी होती जा रही है। कश्मीर में कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव की राज्यपाल से मुलाकात के बाद पीडीपी और बीजेपी के बीच तनाव और बढ़ा है।
सूत्रों के अनुसार हाल ही में कश्मीर में सेना के जवानो द्वारा कश्मीरी लोगों पर की गयी कार्यवाही के वीडिओ वायरल होने के बाद सेना के रवैये से नाखुश मुख्यमंत्री ने इस पर विरोध जताया था। वहीँ बीजेपी नेताओं द्वारा खुलेआम सेना के जवानो द्वारा की गयी कार्यवाही का समर्थन करना दोनो दलों की एक सुसरे के प्रति असहमति तो बयान करता ही है बल्कि इससे उपजे मतभेदों से पीडीपी नेता भी खुश नहीं हैं।
सूत्रों ने कहा कि पीडीपी नेताओं और मरहूम मुफ़्ती मोहम्मद सईद के वफादारों का कहना है कि बीजेपी की कटटर हिंदुत्व छवि से पीडीपी को भविष्य में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन नेताओं मानना है कि श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में पीडीपी की पराजय के लिए भी बहुत हद तक पीडीपी द्वारा राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी से लिया गया समर्थन है।
सूत्रों ने कहा कि मएलसी चुनाव में क्रास वोटिंग तथा उद्योग मंत्री के कश्मीरियों के प्रति विवादित बयान के बाद दोनों दलों के बीच तल्खी बढ़ी है। यही कारण है कि पीडीपी ने एमएलसी के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया था।
वहीँ कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह के बीच भी सम्बन्धो में खटास पैदा हो गयी है। बताया गया कि अब खुद महबूबा मुफ़्ती भी इस बात को मानने लगीं हैं कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी बीजेपी सरकार के गठन के बाद से पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल के लिए कहीं हद तक बीजेपी की नीतियां हैं जिनका वह घाटी में एक्सपेरिमेंट कर रही हैं।
सूत्रों ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि पीडीपी बीजेपी अलग अलग राह पकड़ने के मुहाने पर खड़े हैं और महबूबा मुफ़्ती को बिना बीजेपी के समर्थन के राज्य में सरकार बचाये रखने के लिए विकल्प की तलाश है। सूत्रों ने कहा कि जिस तरह विपक्ष देश में गैर बीजेपी दलों का महागठबंधन बनाने की बात कर रहा है उसी की तर्ज पर जम्मू कश्मीर में भी जल्द कोई ऐसा विकल्प बनकर तैयार हो जाए। जिसमे पीडीपी को समर्थन के लिए बीजेपी का मूँह न ताकना पड़े।