जम्मू कश्मीर का जिला पुंछ : कहीं विकलांगो का जिला न बन जाए !
ब्यूरो (सैय्यद बशारत हुसैन द्वारा) । अमेरिकी यात्रा के दुसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा ने व्हाईट हाउस मे मुलाकात की। घंटे भर लंबी बातचीत के बाद दोनो नेता प्रेस मे मिले। ओबामा ने कहा ” मैने भारत को एनएसजी( न्यूकिलयर सप्लायर्स ग्रुप) की सदस्यता के लिए समर्थन का भरोसा जताया है वहीं हमारे प्रधानमंत्री ने कहा ” दो मित्रो और दो देशो के रुप मे भारत औऱ अमेरिका ने जिस तरह नेतृत्व की भूमिका निभाई है उस पर मुझे गर्व है, मै मित्र ओबामा का शुक्रगुजार रहुँगा।
एक औऱ देश का संबध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा बनाने के लिए प्रधामंत्री का ये प्रयास औऱ दुसरी ओर देश मे बढ़ते असुक्षा के हाताल इन प्रयासों पर प्रशन चिन्ह लगाते हैं औऱ क्यों न लगाएँ? वर्ष 2015 का जिस रुप मे अंत हुआ और साल 2016 की जिस तरह शुरुआत हुई उस को भारतीय सदीयों तक चाह कर भी नही भुल पाऐगें, क्योकि पठान कोट हमले ने न सिर्फ हमारे सैनिको की जान ली और उन्हे जख्मी किया बल्कि इस घटना ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र (भारत) के निवासियो के दिलो को भी घायल किया है।
सीमावर्ती क्षेत्रों मे रहने के कारण हम इस समस्या को दुसरो से कही ज्यादा अच्छे ढंग से समझ सकते हैं क्योकि इस स्थिति को हम बचपन से देखते आए हैं हमने कई बार देखा है कि किस तरह सीमा पर होने के करण कई बेकसुरो ने अपनी जान और शरीर के किमती अंगो को खोया है। जम्मु कशमीर राज्य की शीतल राजधानी जम्मु से 238 किलोमीटर की दुरी पर स्थित पुंछ समय समय पर भारत-पाकिस्तान ताकत का साक्षी होने के कारण सुर्खियों मे बना रहता है।
वर्ष 2013 मे नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना की शहादत, 2014 का भयानक बाढ़ और अगस्त 2015 मे जिला पुंछ के क्षेत्र बालाकोट के सात आम नागरिक गोलियो की चपेट मे आकर अपनी जान गवां बैठे। जबकि 2006 मे पंचायती राज मंत्रालय ने जिला को भारत के 250 पिछड़े हुए क्षेत्रो की सुची मे भी शामिल किया है लेकिन पिछड़ा होने के बावजुद ये जिला राष्ट्रिय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। जिला पुंछ तीनो ओर से नियंत्रण रेखा से घिरा हुआ है, इस जिले की अधिकतर पंचायते नियंत्रण रेखा पर आबाद है जिसका परिणाम यहाँ की जनता भुगत रही है।
बालोकोट, भरोती, दराटी, नाड़बलनोई, सलोतरी, गुलपुर, खड़ीकलमाड़ा, चक्नद्दा बाग, दिगवार, बगियालदारह, मलदियाँ, ढोकरी किरनी, शाहपुर, गलीपिंडी, नुरपुर, सावजिया, गगड़ीया, बरयाड़ी, और अन्य क्षेत्र भारत- पाक को बांटने वाली खुनी लकिरों पर आबाद हैं। कारण वश लोग न सिर्फ अपनी जाने गवांते हैं बल्कि अधिकतर अपने शरीर के बहुमुल्य अंग भी खो बैठते हैं। जिन की एक बारात दिखाई देती है। कटे फटे शरीर खुन, लाशें, सामान्य सी बात है।
व्यक्ति अथवा मानवता का खुन होना यहाँ प्रतिदिन का नजारा है। कहीं माइन ब्लास्ट, कहीं गोलियाँ, कहीं मारटर शेल, जिसके कारण निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं कोई टांगे, कोई बाजु, कोई आंखे, कोई कान गंवा बैठा है तो कोई अपने शरीर मे गोली लेकर घर वालो पर बोझ बना हुआ है। सरकार ऐसे विकलांग लोगो के लिए एक मजदुर से भी कम पेंशन केवल चार सौ रुपए मासिक देती है।
जब इस संबध मे समाज कल्याण विभाग के जिला आफिस मे अधिकारियों से बात की गई तो उनके अनुसार ” हमारे पास विकलांगो के लिए केवल पेंशन है जो हम विकलांगो को देते हैं” जब विभाग से ये पुछा गया कि आप विकलांग महिलाओ को सिलाई मशीन नही उपलब्ध करवा सकते? तो उत्तर मिला की ” नही हमारे पास केवल पेंशन है पहले मशीन भी थी लेकिन अब नही है ” समाज कल्याण विभाग ऐसे विकलांगो को विशेषकर महिला विकलांगो को भी एक सिलाई मशीन तक उपलब्ध नही करवा सकता तो आप समझ सकते हैं कि समाज कल्याण सीमावर्ती विकलांगो का कितना विकलांग कर रहा है?
पेंशन के संबध मे मेंढर ब्लाक के गांव क्षत्राल की एक विकलांग महिला जुलेखा बी कहती हैं कि ” पेंशन केवल चार सौ रुपए मिलती है और वो भी तीन चार महिने के बाद ” मंडी तहसील के अंतर्गत अड़ाई गांव के विकलांग निवासी अब्दुल बाकी के अनुसार” चार महिने बाद पेंशन मिलती है वो भी बैंक जाकर लेनी पड़ती है हम जैसो के लिए बैंक तक पहुँचना सरल नही है हमे बाजार,चिकित्सालय,बैंक तक पहुँचने के लिए एक मजदुर चाहिए होता है जो हमे उठाकर ले जा सके जिसकी एक दिन मजदुरी भी चार सौ रुपए होती है यानि चार सौ रुपए पेंशन के लिए चार सौ रुपए का मजदुर भी चाहिए होता है “जिला पुंछ की लगभग सारे अनुमडलों मे विकलांग संख्या मे मौजुद हैं।
सावजिया पंचायत के सरपंच मो0 बशीर कहते हैं कि ” मेरी पंचायत के एक ही वार्ड नंबर चार मे पंद्रह से बीस व्यकित हैं जो सुनने की क्षमता नही रखते” बालोकोट ब्लाक मे नाड़ पंचायत के सरपंच आफताब अहमद खान कहते हैं कि ” मेरी पंचायत मे पांच विकलांग हैं जिनमे से एक व्यकित शत प्रतिशत विकलांग है ” सुरनकोट ब्लाक की पंचायत हाड़ी अपर के सरपंच मौहम्मद जावेद के अनुसार मेरी पंयायत मे 22 व्यकित विकलांग हैं” गगड़ियाँ के सरपंच खलील अहमद के अनुसार ” मेरी पंचायत मे कुल दस विकलांग हैं “
विकलांगो की इतनी बड़ी संख्या होने के बाबजुद भी जिला मे विकलांगो के लिए कोई भी ऐसा केंद्र नही है जहाँ उनका इलाज किया जा सके, कोई ऐसी सुविधा नही जहाँ विकलांगो को कृत्रिम अंग लगाया जा सके। जिला कुपवाड़ा के एक सिमावर्ती गांव दर्दपुरा को विधवाओ का गांव कहा जाता है कहीं ऐसा न हो कि हमारे सुंदर अथवा ऐतिहासिक जिला पुंछ को ” विकलांगो का जिला “कहा जाने लगे।
(चरखा फीचर्स)