जमीअत उलेमा के नेतृत्व में मुस्लिम नेताओं ने पीएम मोदी से की मुलाकात

नई दिल्ली। जमीअत उलेमा ए हिन्द के नेतृत्व में कई मुस्लिम नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपनी बात रखी। बैठक के बाद जमीअत उलेमा ए हिन्द के नेता महमूद मदनी ने कहा कि पीएम् के साथ उनकी बातचीत सकारत्मक रही है और बातचीत के बाद कई मुद्दों पर उम्मीद बनी है।

मदनी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से एक तंत्र बनाने की भी मांग की है। इससे देश के विकास में मुस्लिम वर्ग का योगदान और भागीदारी सुनिश्चित की जा सकेगा।

महमूद मदनी ने कहा कि कई राज्यों में गौ रक्षा के नाम पर निजी संगठन कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस तरह के संगठनों की निंदा करके सही संदेश दिया था, पर कानून लागू करने वाली एजेंसियों और प्रशासन स्तर पर बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। कोई व्यक्ति या संगठन कानून से ऊपर नहीं है। जमीअत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद उस्मान मंसूरी की अगुआई में मिले प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा।

महमूद मदनी ने कहा कि गौ हत्या का बहाना बनाकर हत्या की घटनाओं ने मुसलिम और दलित समाज में भय और आतंक की लहर पैदा करती है। उन्होंने कहा कि इसे सख्ती से नहीं रोका गया तो इससे भय, निराशा और हताशा पैदा होगी। इसके नतीजे यकीनन नकारात्मक निकलेंगे। यह देश हित के खिलाफ हैं। इसलिए, प्रधानमंत्री को फिर इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष तीन तलाक के मुद्दे के राजनीतिकरण, मुसलमानो पर गौरक्षको के हमले, उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों पर की जा रही सख्ती जैसे कई मुद्दे रखे।

सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्ण तरीके से विचार करने का भरोसा दिया है। इतना ही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री ने तीन तलाक का राजनीतिकरण रोकने के लिए मुस्लिम नेताओं से आगे आकर पहल करने को भी कहा।

प्रतिनिधि मंडल में जमीअत उलेमा ए हिन्द के महासचिव महमूद मदनी के अलावा एआईयूडीऍफ़ अध्यक्ष और सांसद मौलाना बदरुद्दीन सहित करीब एक दर्जन लोग शामिल थे।

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TeamDigital