जब संसद में शर्मिंदा हुई सरकार और रेल राज्यमंत्री को पड़ी स्पीकर की फटकार
नई दिल्ली । लोकसभा में बुधवार को सरकार के लिए रेल राज्य मंत्री मनोज सिंहा के कारण असहज स्थिति पैदा हो गई। प्रश्नकाल में रेल मंत्रालय से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए मंत्री सदन में मौजूद नहीं थे। इस पर विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया और हंगामा किया। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू ने सरकार की ओर से इस पर खेद जताया।
लोकसभा अध्यक्ष ने भी कहा कि भविष्य में इस तरह की स्थिति नहीं होनी चाहिए। जब अध्यक्ष ने प्रश्नावली के क्रम संख्या सात पर रेल मंत्रालय से संबंधित प्रश्न पूछने के लिए सदस्य उदय प्रताप सिंह को कहा तो जवाब देने के लिए सदन में रेल मंत्री सुरेश प्रभु और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा दोनों में से कोई उपस्थित नहीं थे।
मंत्री के सदन में मौजूद नहीं होने पर कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया। पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि दो दिन पहले भी एक चर्चा के दौरान सदन में कोई कैबिनेट मंत्री नहीं थे। आज प्रश्नकाल के दौरान भी ना तो कैबिनेट मंत्री हैं और ना ही राज्यमंत्री सदन में हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने प्रश्नावली के पहले प्रश्न का उत्तर भी दिया था। वे यह सोचकर सदन से चले गए होंगे कि सातवें क्रम पर अंकित प्रश्न का नंबर नहीं आएगा। अकसर ऐसा होता भी है और हम सातवें प्रश्न तक नहीं पहुंचते। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उन्हें सूचना दी थी कि किसी आवश्यक कार्य की वजह से वह लोकसभा में नहीं आएंगे। लेकिन उनकी जगह रेल राज्यमंत्री सिन्हा सदन में आए थे। लेकिन उन्हें प्रश्नकाल पूरा होने तक रहना चाहिए था।
स्पीकर ने कहा, ‘मैं कहना चाहूंगी कि ऐसा नहीं होना चाहिए। प्रश्नकाल पूरा होने तक मंत्री को सदन में रहना चाहिए। ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए।’ संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने इस असहज स्थिति के लिए सरकार की ओर से खेद प्रकट किया। उन्होंने कहा कि मंत्री ने सोचा होगा कि सातवें प्रश्न तक नहीं पहुंचेंगे। लोकसभा अध्यक्ष चाहें तो इस प्रश्न को बाद में पूछे जाने के लिए निर्देश दे सकती हैं। नायडू ने कहा, ‘सरकार मानती है कि यह गलती हो गई। हमने स्वीकार किया है और आगे से ऐसा नहीं होगा।’